Yamak Alankar ke Udaharan | यमक अलंकार के 20 उदाहरण और परिभाषा

Yamak Alankar ke 20 Udaharan 

Yamak Alankar ke Udaharan:- प्रिय छात्र इस आर्टिकल में हम यमक अलंकार (Yamak Alankar) के बारे में पढ़ेंगे, साथ ही यह भी जानकारी दी है की यमक अलंकार की परिभाषा क्या है? और इसकी पहचान साथ ही इसके कुछ उदहारण| हम यमक अलंकार (Yamak Alankar) के उदाहरणों को जानेंगे की यमक अलंकार क्या होते है?

Yamak Alankar ke Udaharan | यमक अलंकार के 20 उदाहरण और परिभाषा

Yamak Alankar | यमक अलंकार की परिभाषा 

जैसा की आप जानते होंगे जिस तरह अनुप्रास अलंकार में किसी एक वर्ण की आवृति होती है, इसी प्रकार (Yamak Alankar) यमक अलंकार में किसी कार्य को सुन्दर बनाने के लिए एक शब्द का बार बार उपयोग होता है या आवृति होती है| वह यमक अलंकार कहलाता है|

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दूसरे शब्दों में कहा जाए तो जब किसी कविता में एक ही शब्द दो या दो से अधिक हो मतलब बार बार आये उसका अर्थ हर बार अलग अलग हो वह यमक अलंकार (Yamak Alankar) होता है|

Yamak Alankar Ke Udaharan | यमक अलंकार के 20 उदहारण 

उदहारण 1

काली घटा का घमंड घटा।

आप देख सकते है, इस पंक्ति में घटा शब्द की आवृति दो बार हुई है, घटा का घमंड घटा शब्द में से एक घटा का अर्थ आकाश है और दूसरे घटा शब्द का अर्थ है किसी चीज का काम होना| ऐसे में इसे यमक अलंकार कहते है|

उदहारण 2

बैरी बर छीने बर छीने, बैरी भाले भा ले निकले ।

आप देख सकते है, इस पंक्ति में बर छीने शब्द की आवृति दो बार हुई है ऐसे में इसे यमक अलंकार कहते है|

उदहारण 3

रती-रती शोभा सब रति के शरीर की|

आप देख सकते है, इस पंक्ति में रती शब्द की आवृति दो बार हुई है| ऐसे में इसे यमक अलंकार कहते है|

उदहारण 4

ऊँचे घोर के मंदर के अंदर रहन वारी |
ऊँचे घोर मंदर के अंदर रहाती है||

आप देख सकते है, इस पंक्ति में ऊँचे घोर शब्द की आवृति दो बार हुई है, इस पंक्ति का अर्थ है की ऊँचे घर में रहने वाली नारियो ने ऊँचे घर छोड़ दिए है अब गुफाओ में रहने लगी है| ऐसे में इसे यमक अलंकार कहते है|

उदहारण 5

केकी रव की नूपुर ध्वनि सुन |
जगती जगती की मूक प्यास ||

आप देख सकते है, इस पंक्ति में जगती शब्द की आवृति दो बार हुई है, जगती जगती का अर्थ है जगाना और संसार| ऐसे में इसे यमक अलंकार कहते है|

उदहारण 6

जेते तुम तारे तेत नभ में न तारे है|

आप देख सकते है, इस पंक्ति में तारे शब्द की आवृति दो बार हुई है, इस पंक्ति में तारे तारे का अर्थ उद्धार करना और नक्षत्रगण है | ऐसे में इसे यमक अलंकार कहते है|

उदहारण 7

कहै कवि बेनी बेनी ब्याल की चुराई लींनी |

आप देख सकते है, इस पंक्ति में बेरी शब्द की आवृति दो बार हुई है, इस पंक्ति में एक बेनी का अर्थ कवि का नाम है और दूसरी बेनी का अर्थ चोटी है। ऐसे में इसे यमक अलंकार कहते है|

उदहारण 8

माला फेरत जग गया, फिरा न मन का फेर |
कर का मनका डारि दे, मन का मनका फेर||

आप देख सकते है, इस पंक्ति में मन का मनका शब्द की आवृति दो बार हुई है, इस पंक्ति का अर्थ यह है की कबीर ऐसे व्यक्ति को सलाह है कि हाथ की इस माला को फेरना छोड़ कर मन के मोतियों को बदलो या फेरो। ऐसे में इसे यमक अलंकार कहते है|

उदहारण 9

कनक कनक ते सौगुनी मादकता अधिकाय |
या खाये बौरात नर या पा बौराये||

आप देख सकते है, इस पंक्ति में कनक कनक शब्द की आवृति दो बार हुई है, और इस पंक्ति का अर्थ यह है की सोना अर्थात धन का नशा धतुरा अर्थात नाशीला वस्तु से 100 गुना अधिक नशा होता है क्योंकि नशीली वस्तु खाने के बाद ही नशा होता है जबकि सोना अर्थात धन आते हि नशा अर्थात घमंड हो जाता है। ऐसे में इसे यमक अलंकार कहते है|

उदहारण 10

किसी सोच में हो विभोर साँसे कुछ ठंडी खींची |
फिर झट गुलकर दिया दिया को दोनों आँखे मीचि||

आप देख सकते है, इस पंक्ति में दिया शब्द की आवृति दो बार हुई है, इसमें एक दिया का अर्थ देने से और दूसरे दिया का अर्थ दीपक से है। ऐसे में इसे यमक अलंकार कहते है|

Yamak Alankar Ke Udaharan | यमक अलंकार के 10 उदहारण 

तीर बेर खाती थी वो तीर बेर खाती है|

सजना है मुझे सजना के लिए|

भजन कह्यौ ताते भज्यौ भज्यो ना एको बार |

हरि हरि रूप दियो नारद को |

जिसकी समानता किसी ने पायी नहीं |
पायी के नहीं वे ही लाल माई के ||

सारंग ले सारंग चली, सारंग पुगो आये |
सारंग ले सारंग धर्यौ, सारंग निकस्यो आये||

आँख लगती तब है जब आँख लगती ही नाहीं|

तुम्हारी नौकरी के लिए कह रखा है सालो से सालो से |

खग कूल कूल सा बोल रहा है|
पास ही रह, हिरे की खान उसे खोजते कहा नादान||

लोक में फैला सूर्येलोक |
सुर सुर तुलसी शशि ||

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