पीपीपी मॉडल क्या है और इसके प्रकार | What Is PPP Model In Hindi
पीपीपी मॉडल क्या है: दरअसल आपको बता दूं कि पीपीपी मॉडल इस समय देश में चर्चा का विषय बन चुका है जानकारी के लिए बता दूं कि हमारे देश में केंद्र सरकार और राज्य सरकार पीपीपी मॉडल पर कई योजनाओं को पूरा करती है लेकिन अभी वर्तमान समय में भारतीय रेलवे में एसपीपीपी मॉडल पर ट्रेनों का संचालन किया जा रहा है।
रेल मंत्रालय ने पीपीपी मॉडल पर 151 ट्रेनों को चलाने की स्वीकृति प्रदान कर दी है अगर आप पीपीपी मॉडल से रिलेटेड जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो इस आर्टिकल को शुरू से अंत तक जरूर पड़े क्योंकि इसमें पीपीपी रिलेटेड सभी प्रकार की जानकारी प्रोवाइड की गई है साथ ही साथ आखिर पीपीपी मॉडल होता क्या है।
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और इसका फुल फॉर्म क्या है पीपीपी मॉडल के फायदे और नुकसान से रिलेटेड सभी प्रकार की जानकारी नीचे के आर्टिकल में आप देख सकते हैं अगर आप पीपीपी से संबंधित जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो इस आर्टिकल को शुरू से अंत तक जरूर पढ़े या आर्टिकल आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
पीपीपी का फुल फॉर्म क्या होता है?
दरअसल आपको बता दूं कि पीपीपी मॉडल अभी देश में चर्चा का विषय बन गया अब चलिए समझते हैं आखिर पीपीपी मॉडल होता क्या है और इसका फुल फॉर्म क्या है तो पीपीपी का फुल फॉर्म पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप होता है
अगर हिंदी भाषा में इसे समझे तो सार्वजनिक निजी साझेदारी के नाम से भी जाना जाता है हालांकि इस के नाम से यह स्पष्ट हो रहा है कि सरकारी और प्राइवेट कंपनी मिलकर किसी कार्य को पूरा करती है तो पीपीपी शब्द का प्रयोग किया जा सकता है।
इसे एक प्रकार से सरकार और निजी क्षेत्र का अनुबंधन भी कहा जा सकता है क्योंकि इसमें कोई निजी कंपनी और सरकारी दोनों एक साथ पार्टनरशिप में काम करते हैं इसलिए पीपीपी का फुल फॉर्म पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप रखा गया है जो कि इसके नाम से ही स्पष्ट हो रहा है इसका काम।
पीपीपी मॉडल क्या है?
अब चलिए समझते हैं आखिर पीपीपी मॉडल होता क्या है जानकारी के लिए बता दूं कि किसी भी परियोजना को पूरा करने के लिए सरकार निजी कंपनियों के साथ-साथ जारी करती है क्योंकि सरकार तो स्वयं इस काम को कर नहीं सकती है तो निजी कंपनियों के साथ साझेदारी करके इस काम को पूरा करती है और उस परियोजना में लगने वाले धन को एकत्रित किया जाता है।
इस मॉडल में प्राइवेट कंपनी और सरकारी कंपनियां अपने अनुभवों को साझा करती है जिसमें प्राइवेट कंपनी और सरकारी कंपनी दोनों को लाभ होता है और दोनों के कार्य में गुणवत्ता के कारण वह काम भी आसानी से हो जाता है और काफी बेहतरीन तरीकों से किसी भी काम को आसानी से पूरा किया जा सकता है।
जब सरकार निजी कंपनियों के साथ मिलकर पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के अंतर्गत परियोजनाओं को पूरा करती है हालांकि अभी तक पीपीपी मॉडल का उपयोग हाईवे निर्माण रेलवे निर्माण इत्यादि में किया जा चुका है क्योंकि इसमें सरकारी और निजी संस्थान मिलकर अपने अनुभवों के साथ काम करती है जानकारी के लिए बता दूं कि पीपीपी मॉडल लागू करने से सही लागत और सही समय में कोई भी काम संचालित रूप से बेहतर तरीकों से पूरी हो जाती है।
पीपीपी मॉडल की आवश्यकता
दरअसल आपको बता दूं कि पीपीपी मॉडल की आवश्यकता तब होती है जब केंद्र सरकार और राज्य सरकार अपना सारा धन हजारों करोड़ों रुपए की घोषणाओं को पूरा करने में नहीं लगाना चाहती है अभी शार्टकट तरीको से पीपीपी मॉडल की सहायता से अपना काम पूरा करना चाहती है।
जिसमें उन्हें प्राइवेट कंपनियों का सहारा लेना पड़ता है जब सरकार प्राइवेट कंपनियों के साथ एग्रीमेंट करके किसी भी काम को जैसे कि हाईवे का निर्माण पुल का निर्माण नदियों का बांध बनाना इत्यादि काम को पूरा करती है सार्वजनिक भागीदारी का प्रतिनिधित्व किया जाता है।
जानकारी के लिए बता दूं कि पब्लिक के लिए काम करती है तो वे प्राइवेट कंपनियों के साथ एग्रीमेंट करके कम समय और कम खर्च में बेहतरीन और खास अंदाज में किसी भी काम को आसानी से करना चाहती है इसलिए पीपीपी मॉडल की आवश्यकता पड़ती है।
पीपीपी मॉडल से लाभ
दरअसल आपको बता दूं कि पीपीपी मॉडल से बहुत सारे लाभ होते हैं जो निम्न दर्शाया गया है
- पीपीपी मॉडल के तहत प्रोजेक्ट सही समय तथा सही लागत में पूरे हो जाते है।
- पीपीपी मॉडल के तहत सभी कार्यो को सरकार तथा निजी संस्थान दोनों क्षेत्रो में विभाजित कर लिया जाता है तथा दोनों को ही अपने-अपने क्षेत्र के कार्यो को पूर्ण करना उनकी जिम्मेदारी होती है।
- पीपीपी मॉडल के तहत प्रोजेक्ट पूरा करने पर सरकार को बजट तथा कर्ज सम्बन्धी समस्या नहीं होती है |
- इस मॉडल के तहत प्रोजेक्ट पर कार्य निर्धारित योजना के अनुसार होता है, तथा सरकारी कार्य की तुलना में इस मॉडल के तहत किये गए कार्य की गुणवत्ता अच्छी होती है।
- प्रोजेक्ट को समय से पहले पूरा करने में मुख्य भूमिका अर्थ व्यवस्था की होती है, जिसके आधार पर मजदूर, पूंजी संसाधन तथा उपयोग की जाने वाली सामग्री को बढाकर कर सकते है।
- पीपीपी मॉडल के तहत कम लागत तथा समय में बेहतर कार्य समय से पूर्ण हो जाते है।
पीपीपी मॉडल की खामियां
दरअसल आपको बता दूं कि पीपीपी मॉडल के लाभ के साथ-साथ इसकी कुछ कमियां भी है तो चलिए समझते हैं क्या है पीपीपी मॉडल की कमियां
- PPP Model को सही ढंग से रेगुलेट करना आसान नहीं होता है,भारत सरकार अबतक सही ढंग से पीपीपी मॉडल को रेग्यूलेट करने में नाकाम रही है ।
- पीपीपी मॉडल के अंतर्गत flexibility और dynamism की कमी होती है ।
- प्राइवेट सेक्टर की संख्या कम होने से यह कॉस्ट इफेक्टिव नहीं होता है ।
- प्राइवेट कंपनियों को कोर responsibilities और अधिकार देने की वजह से उनके द्वारा शोषण का खतरा बढ़ जाता है ।
- कई प्राइवेट सेक्टर राजनीति से जुड़े होते हैं जिसकी वजह से वे आसानी से कॉन्ट्रैक्ट अपने हाथों में ले लेते हैं ।
ऊपर के आर्टिकल में हमने पूरी तरह समझ लिया आखिर पीपीपी मॉडल है और पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप कितने प्रकार के होते हैं साथ ही साथ इनकी कुछ खामियां और कुछ लाभ के बारे में भी हमने सभी प्रकार के जानकारी प्राप्त कर लिए हैं आशा है कि आप इन आर्टिकल से पीपीपी से रिलेटेड सभी प्रकार की समस्याओं का निवारण पा लिए होंगे।
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