Vakrokti Alankar | वक्रोक्ति अलंकार किसे कहते है परिभाषा, उदाहरण, प्रकार

वक्रोक्ति अलंकार किसे कहते है | Vakrokti Alankar Kise Kahte Hai

वक्रोक्ति अलंकार “Vakrokti Alankar” एक हिंदी शास्त्रीय अलंकार है जो किसी वाक्यांश के विपरीतार्थी या प्रतिकूल अर्थ को व्यक्त करने के लिए प्रयुक्त होता है। इस अलंकार में वाक्यांश का ढालीदार, असामान्य, विपरीत या प्रतिकूलार्थक अर्थ प्रकट होता है। इसे वाक्रोक्ति अलंकार कहा जाता है क्योंकि यह विपरीत या प्रतिकूल अर्थ की रूपरेखा बनाता है जो वाक्यांश को वक्र (कुटिल, टेढ़ा) बना देती है। इस अलंकार का प्रयोग कविता, गीत, नाटक, उपन्यास आदि में किया जाता है ताकि उन्हें अधिक रंगभरी और रसभरी बनाया जा सके।

यहां कुछ उदाहरण वक्रोक्ति अलंकार के दिए गए हैं:

  • उत्तम अधिकारी बैठे, आदमी सूखे धूप में।
    (अधिकारी को अधिकार और आदमी को धूप का अर्थ होता है। यहां अर्थिक विपरीतता प्रकट हो रही है।)
  • चाँदनी रात में भीषण आंधी चली।
    (चाँदनी रात शांतिपूर्ण होने का प्रतीक होती है, जबकि भीषण आंधी हिंसक होने का प्रतीक होती है। इस वाक्यांश में दोनों का विपरीत अर्थ प्रकट हो रहा है।)
  • बैरी की जितनी भीड़ हो, वह आराम से चली।
    (जितनी भीड़ होने के बावजूद, बैरी आराम से चली है, जिससे उसका साहस दिखाया जा रहा है। यहां आराम और भीड़ का विपरीतार्थी अर्थ प्रकट हो रहा है।)

ये उदाहरण वक्रोक्ति अलंकार “Vakrokti Alankar” के उदाहरण हैं जो वाक्यांश के अर्थ में विपरीतता प्रकट करते हैं और वाक्यांश को वक्र (कुटिल, टेढ़ा) बनाते हैं।

वक्रोक्ति अलंकार की परिभाषा | Vakrokti Alankar Ki Paribhasha

वक्रोक्ति अलंकार “Vakrokti Alankar” हिंदी शास्त्रीय काव्यशास्त्र में एक प्रमुख अलंकार है, जो किसी वाक्यांश के अर्थ को विपरीत करने के लिए प्रयुक्त होता है। इस अलंकार में, वाक्यांश का अर्थिक रूप प्रतिकूल या विपरीत होता है और उसे कुटिल, टेढ़ा या असामान्य बनाने का प्रयास किया जाता है।

वक्रोक्ति अलंकार “Vakrokti Alankar” का उपयोग कविताओं, गीतों, नाटकों, उपन्यासों आदि में किया जाता है ताकि वाक्यांशों को अधिक विचित्र और रसभरे बनाया जा सके। इस अलंकार का प्रयोग करके लेखक अद्वितीयता और सौंदर्य का रंग भरते हैं और पाठकों की ध्यान आकर्षित करते हैं।

वक्रोक्ति अलंकार “Vakrokti Alankar” के द्वारा उपस्थित विपरीतार्थी अर्थ वाक्यांश को मजेदार और चुनौतीपूर्ण बनाता है। इस अलंकार के माध्यम से कवि अभिभावकों की भावनाओं को जटिल और सहज रूप से प्रकट करता है। इसलिए, वक्रोक्ति अलंकार को काव्य की विविधता, विचित्रता, और समृद्धता को बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण तत्व माना जाता है।

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वक्रोक्ति अलंकार के उदाहरण | Vakrokti Alankar Ke Udhahran

यहां कुछ वक्रोक्ति अलंकार “Vakrokti Alankar” के उदाहरण दिए गए हैं:

सौगंध तो बसन्त में होती है, वरना महकती रेलगाड़ी।
(यहां बसन्त की सौगंध को महकती रेलगाड़ी के साथ तुलना की गई है, जो विपरीत अर्थ प्रकट करता है।)

जब तक सूरज चांद रहेंगे, हम दोनों मिलते रहेंगे।
(चांद और सूरज के विपरीत रहने के बावजूद, वाक्यांश में हम दोनों के मिलने की भावना प्रकट होती है।)

देखने वाले देखते रह जाते हैं, गीत सुनने वाले जो चले जाते हैं।
(देखने वालों को देखने की बजाय गाने सुनने वालों को जाने का इशारा किया जा रहा है, जो वाक्यांश को विपरीतार्थक बनाता है।)

निकल पड़े गगन से कपाट, मौसम बदल गया अनुराग।
(कपाट से निकल पड़ने का विपरीतार्थिक अर्थ प्रकट हो रहा है, जो मौसम के बदलने के साथ अनुराग का प्रतीक है।)

ज़िंदगी वो रेलगाड़ी है, जो अपने सफर को आगे बढ़ाती है।
(रेलगाड़ी को ज़िंदगी के संचालन के साथ तुलना किया गया है, जो उसके विपरीतार्थक अर्थ को प्रकट करता है।)

बादल छाए हुए हैं, बिना बरसे ही भीग जाते हैं।
(यहां छाए हुए बादलों को भीगने के संदर्भ में उदाहरण दिया गया है, जो अपेक्षित नहीं है और अर्थिक विपरीतता का प्रतीक है।)

उग रहे हैं नये फूल, बसंत आया नहीं।
(नये फूल उग रहे होने के बावजूद, वाक्यांश में बसंत की अनुपस्थिति का विपरीतार्थक अर्थ प्रकट होता है।)

वो शेर की दहाड़ है, जो सुनते ही दरिया खाड़ हो जाता है।
(दहाड़ को शेर के साथ तुलना करके उसकी भयानकता को दरिया के साथ जोड़ने से विपरीतार्थिक अर्थ प्रकट होता है।)

सूरज गर्मी देता है, आग बुझाती है।
(यहां सूरज को गर्मी और आग को बुझाने के संदर्भ में विपरीतार्थिक अर्थ प्रदान किया गया है।)

छुट्टी का दिन था, काम के बजाय मस्ती हुई।
(काम के बजाय मस्ती होने के बावजूद, वाक्यांश में छुट्टी के दिन का उल्लेख करके विपरीतार्थक अर्थ प्रकट होता है।)

ये उदाहरण वक्रोक्ति अलंकार के उदाहरण हैं जो वाक्यांश के अर्थ में विपरीतता प्रकट करते हैं और वाक्यांश को वक्र (कुटिल, टेढ़ा) बनाते हैं।

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