Shlesh Alankar Kise Kahte Hai | श्लेष अलंकार किसे कहते हैं परिभाषा, उदाहरण

श्लेष अलंकार किसे कहते हैं | Shlesh Alankar Kise Kahte Hai

श्लेष अलंकार (Shlesh Alankar ), हिंदी साहित्य में उपमा अलंकार की एक विशेष प्रकार है। इसे उपमा के साथ ही शब्दों की आवृत्ति या पुनरावृत्ति के माध्यम से प्रदर्शित किया जाता है। श्लेष अलंकार का उपयोग वाक्यों या पंक्तियों में सदृशता और सुंदरता को बढ़ाने के लिए किया जाता है।

श्लेष अलंकार (Shlesh Alankar) की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि इसमें एक से अधिक शब्दों की पुनरावृत्ति होती है, जिससे शब्दों का प्रयोग दो अलग-अलग अर्थों में किया जा सकता है। इसलिए, श्लेष अलंकार में शब्दों का चयन और उनकी व्यवस्था महत्वपूर्ण होती है।

यहां एक उदाहरण दिया गया है:

“मानस चांदनी मिरगई रूप रंग,
भवन बिन सुंदर रहत नहीं भंग।”

इस उदाहरण में, शब्द “रूप” और “रंग” की पुनरावृत्ति की गई है। इससे वाक्य का अर्थ यह होता है कि मानस (मन) चांदनी मिरगई के रूप और रंग की तुलना में सुंदर हो जाता है। इस प्रकार, श्लेष अलंकार वाक्य को और विविधता और रस जोड़कर उसे सुंदर बनाता है।

श्लेष अलंकार की परिभाषा | Shlesh Alankar Ki Paribhasha

श्लेष अलंकार (Shlesh Alankar) को एक ऐसा अलंकार कहा जाता है जिसमें एक से अधिक शब्दों की पुनरावृत्ति होती है और उन्हें उपमा के साथ जोड़कर व्यक्त किया जाता है। इसलिए, इस अलंकार में शब्दों की आवृत्ति और उपमा की मौजूदगी महत्वपूर्ण होती है।

श्लेष अलंकार (Shlesh Alankar) का प्रयोग वाक्यों और पंक्तियों को सुंदर, प्रभावशाली और विविधतापूर्ण बनाने के लिए किया जाता है। इसके द्वारा भाषा का आकर्षण बढ़ता है और पाठक का ध्यान आकर्षित होता है। श्लेष अलंकार का उपयोग कविताओं, गीतों, नाटकों और अन्य साहित्यिक रचनाओं में किया जाता है।

इसका एक उदाहरण दिया गया है:

“तारों के झुमन में गुलशन का जौहर है,
उम्मीद की किरणों में अंधकार का पहर है।”

इस उदाहरण में, शब्द “झुमन” और “किरणों” की पुनरावृत्ति की गई है, जिससे वाक्य का अर्थ यह होता है कि तारों के झुमन (चमक) में गुलशन का जौहर होता है और उम्मीद की किरणों में अंधकार का पहर होता है। श्लेष अलंकार इस प्रकार वाक्य को अर्थपूर्ण, सुंदर और रसपूर्ण बनाता है।

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श्लेष अलंकार उदाहरण | Shlesh Alankar Udhahran

श्लेष अलंकार (Shlesh Alankar) के एक-एक उदाहरण दिए जाते हैं:

“चाँदनी रातों में जलती हुई सूरज की किरणें”
(यहाँ, “रातों में” और “की किरणें” शब्दों की पुनरावृत्ति की गई है।)

“आँखों में बरसती हुई ज़र्रे बादलों की बूँदें”
(यहाँ, “में” और “की बूँदें” शब्दों की पुनरावृत्ति की गई है।)

“धरती की गोद में सोती हुई बादल की कलगिन बूँदें”
(यहाँ, “में” और “की कलगिन बूँदें” शब्दों की पुनरावृत्ति की गई है।)

“पत्थरों की दुनिया में मुस्कान का मुल्य होता है”
(यहाँ, “में” और “का मुल्य होता है” शब्दों की पुनरावृत्ति की गई है।)

“मन की गहराई में छुपी हुई आवाज़ की लहरें”
(यहाँ, “में” और “की लहरें” शब्दों की पुनरावृत्ति की गई है।)

ये उदाहरण श्लेष अलंकार का उपयोग दर्शाते हैं, जहाँ शब्दों की पुनरावृत्ति के माध्यम से वाक्यों को सुंदर, रसपूर्ण और प्रभावशाली बनाया जाता है।

श्लेष अलंकार निष्कर्ष | Shlesh Alankar Nishkarsh

श्लेष अलंकार (Shlesh Alankar) वाक्यों या पंक्तियों में शब्दों की पुनरावृत्ति का उपयोग करके उपमा को सुंदरता और प्रभावशालीता के साथ व्यक्त करने का एक अलंकार है। इसका प्रयोग भाषाई रंग, भावपूर्णता, विविधता और काव्यिक आकर्षण बढ़ाने के लिए किया जाता है। श्लेष अलंकार द्वारा वाक्यों को रसपूर्ण और प्रभावशाली बनाने का मुख्य उद्देश्य होता है।

इसका उपयोग कविताओं, गीतों, नाटकों और अन्य साहित्यिक रचनाओं में किया जाता है। श्लेष अलंकार की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि इसमें शब्दों की चयन और उनकी व्यवस्था का महत्वपूर्ण योगदान होता है ताकि वाक्य का अर्थ व्याख्याता और सुंदरता के साथ समझ में आ सके।

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