Suryakant Tripathi Nirala Biography In Hindi | सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का जीवन परिचय

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का जीवन परिचय | Suryakant Tripathi Nirala Biography In Hindi

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला (Suryakant Tripathi Nirala) (जन्म: 1905, मृत्यु: 1961) हिंदी साहित्य के एक मशहूर कवि थे। वे भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, समाजसेवी और सामाजिक कार्यकर्ता भी थे। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के महुवारी गाँव में हुआ।

निराला का असली नाम केदारनाथ था, लेकिन उनकी माता-पिता ने उन्हें ‘सूर्यकांत’ नाम दिया था। उनके पिता का नाम पंडित रामनाथ त्रिपाठी था और माता का नाम पंडितनी नीरा देवी था। निराला की कविताओं में उनके अध्यात्मिक गुरु सूर्यकांत आचार्य का बहुत प्रभाव रहा है, जिन्होंने उन्हें संस्कृत, हिंदी, फारसी, अंग्रेजी और उर्दू आदि भाषाओं का ज्ञान दिया। इसी के आधार पर उनके पिता ने उनका नाम ‘सूर्यकांत’ रखा।

निराला ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मिर्जापुर में ही पूरी की और उसके बाद वाराणसी जाकर वहां स्नातकोत्तर (एम.ए.) पाठशाला में अध्ययन किया। वहां से उन्होंने साहित्य और धर्मशास्त्र में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त की।

निराला ने अपनी जीवनयात्रा में अनेकों काव्य संग्रहों का सम्पादन और लेखन किया। उनकी कविताएँ विभिन्न विषयों पर हैं, जैसे कि प्रेम, देशभक्ति, प्रकृति, सामाजिक मुद्दे आदि। उनकी प्रसिद्ध कविताएं “परिवर्तन”, “आत्मपरिचय”, “वैद्यनाथ मिश्र”, “दूध का दाम”, “रानी खेतकी” और “सरोज स्मृति” आदि हैं।

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला (Suryakant Tripathi Nirala) ने विभिन्न समाजसेवी कार्यों में भी अपना योगदान दिया। उन्होंने महिलाओं के लिए आश्रय स्थल स्थापित किया और मानवीय यात्रा में अपना समय दिया। उन्होंने ग्रंथों के माध्यम से अपने आदर्शों को लोगों के सामने रखा और समाज के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की।

निराला का जीवन संघर्षपूर्ण रहा, और उन्हें विभिन्न विपत्तियों और आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ा। वे एक समय तक आवास बिगड़ने के कारण टेंट में रहते थे।

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला (Suryakant Tripathi Nirala) को 1959में साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया था। उनकी कविताओं ने लोगों के मनोहारी तार्किकता को छूने का काम किया और उन्हें आदर्श नेता और कवि के रूप में मान्यता प्राप्त हुई।

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला 1961 में अपनी उम्र के 56 वर्ष में ही निधन हो गए, लेकिन उनकी कविताओं का प्रभाव आज भी दर्शकों पर दृढ़ है और उन्हें हिंदी साहित्य के महान कवि माना जाता है।

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की प्रमुख कृतियां | Suryakant Tripathi Nirala Biography In Hindi

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला (Suryakant Tripathi Nirala) की कई प्रमुख कृतियाँ हैं जो हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। यहां कुछ प्रमुख कृतियों का उल्लेख किया गया है:

  • आकाशदीप: यह कविता संग्रह सूर्यकांत त्रिपाठी निराला (Suryakant Tripathi Nirala) की प्रसिद्धतम और प्रमुख कृतियों में से एक है। इसमें उन्होंने प्रेम, देशभक्ति, स्वाधीनता, समाजिक मुद्दे और व्यक्तिगत उदासीनता जैसे विषयों पर कविताएं लिखी हैं।
  • राम के नाम: यह एक मशहूर भजन है जिसे सूर्यकांत त्रिपाठी निराला (Suryakant Tripathi Nirala) ने रचा था। इस भजन में उन्होंने भगवान राम की महिमा और उनके नाम की महत्वता को व्यक्त किया है। यह भजन लोकप्रियता में भी बहुत ऊँचाई प्राप्त कर चुका है।
  • आत्मपरिचय: इस कविता संग्रह में निराला ने अपने आत्म-विश्लेषण, व्यक्तित्व, भावनाएं और सामाजिक धारणाओं को व्यक्त किया है। इसमें उन्होंने अपने स्वयं की समीक्षा की है और साहित्यिक दृष्टिकोण से अपने आप को प्रस्तुत किया है।
  • परिवर्तन: यह एक अन्य मशहूर कविता है जिसमें निराला ने समाज के विभिन्न मुद्दों पर अपनी आलोचनात्मक दृष्टि व्यक्त की है। इसमें उन्होंने व्यक्तिगत और सामाजिक परिवर्तन की मांग की है और लोगों को समझाया है कि बदलाव की आवश्यकता क्यों होती है।
  • अष्टछाप: यह एक प्रसिद्ध काव्य संग्रह है जिसमें निराला ने अपनी भावनाओं को अप्रत्याशित और अपरिमित ढंग से व्यक्त किया है। इसमें वे स्वतंत्रता, प्रेम, उदासीनता, भ्रम, और प्राकृतिक विषयों को स्पष्ट करने की कोशिश करते हैं।

ये केवल कुछ प्रमुख कृतियां हैं, जो सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की कविता संग्रह के उदाहरण हैं। उनकी कविताएं उनके दृष्टिकोण, साहित्यिक योग्यता और सामाजिक विचारों के कारण मशहूर हैं।

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सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का विवाह | Suryakant Tripathi Nirala Ki Shadi

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला (Suryakant Tripathi Nirala) का विवाह १९२३ में हुआ था। उनकी पत्नी का नाम मानदेवी था और उनके पिता का नाम पंडित बड़ी नाथ मिश्र था। मानदेवी सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की साथी बनकर उनके जीवन के सभी मोड़ों में रहीं। उनके विवाह के बाद उनके दो पुत्र और दो पुत्रियाँ हुईं।

निराला का विवाह साहित्यिक कार्यों के बीच में हुआ था और इसके बाद उन्होंने अपनी पत्नी का समर्पण किया और संघर्षपूर्ण जीवन जीना शुरू किया। उनकी पत्नी ने उन्हें सामरिक और मानवीय समर्थन प्रदान किया और उनके काव्य कार्य में सहायक बनी।

यद्यपि निराला का विवाह सामाजिक और पारिवारिक जीवन का एक हिस्सा था, लेकिन वे अपने साहित्यिक कार्यों में अकेले और अलगाववादी रहे, जहां उनकी सत्ता और भ्रम व्यक्ति की स्वतंत्रता को जीने में मदद की। उनके पारिवारिक जीवन की कई कठिनाइयाँ थीं, जिसमें आर्थिक समस्याएँ, उच्च शिक्षा के लिए अभाव, और सामाजिक दबाव शामिल थे।

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