Makhanlal Chaturvedi Ka Jivan Parichay | माखनलाल चतुर्वेदी का जीवन परिचय

माखनलाल चतुर्वेदी का जीवन परिचय | Makhanlal Chaturvedi Ka Jivan Parichay

माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi) (27 अगस्त 1889 – 30 मई 1968) भारतीय साहित्यकार, कवि और लेखक थे जिन्होंने हिंदी साहित्य को अपनी श्रेष्ठ कविताओं और निबंधों से विशिष्ट योगदान दिया। उन्हें ‘राष्ट्रकवि’ के रूप में भी सम्मानित किया जाता है।

माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi) का जन्म 27 अगस्त 1889 को बिलासपुर, छत्तीसगढ़, भारत में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा बिलासपुर में पूरी की और फिर नागपुर विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने फिर कानपुर विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की और एक वकील बने।

माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi) की कविताएँ और निबंध उनके समय की सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य में उनके दृष्टिकोण को प्रकट करती थीं। उनकी कविताएँ जीवन के विभिन्न पहलुओं पर चिंतन करती थीं, जैसे कि प्रेम, प्राकृतिक सौंदर्य, स्वतंत्रता संग्राम आदि।

माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi) का काव्य और साहित्यिक योगदान महत्वपूर्ण है और उन्हें हिंदी साहित्य में ‘छायावाद’ आंदोलन के प्रमुख कवि माना जाता है, जो आलोचनात्मक, भावुक और सौंदर्यपूर्ण भाषा का प्रयोग करके साहित्य की नई दिशा दिलाने का काम किया।

माखनलाल चतुर्वेदी के प्रमुख रचनाएँ:

  • “यम”
  • “पर्व”
  • “हलहल”
  • “अहल्या”
  • “मूसलाधार”
  • “दीप्तिमन्त”
  • “निर्जला”

माखनलाल चतुर्वेदी का जीवन और योगदान हिंदी साहित्य में एक महत्वपूर्ण चरण को प्रकट करते हैं, और उनकी रचनाओं का पाठकों पर गहरा प्रभाव पड़ता है।

माखनलाल चतुर्वेदी का विवाह | Makhanlal Chaturvedi Ka Vivah

माखनलाल चतुर्वेदी का 1921 में सूचना प्रसारण मंत्री चिंतामणी देवी से विवाह हुआ था। उनके विवाह के बाद उनके एक पुत्र और दो पुत्रियाँ हुईं थीं। वे अपनी पत्नी के साथ मिलकर भारतीय साहित्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे और सामाजिक परिवर्तन के प्रति उनकी जागरूकता का प्रतीक बने रहे।

माखनलाल चतुर्वेदी की रचनाएं | Makhanlal Chaturvedi Ki Rachnaye

माखनलाल चतुर्वेदी ने विभिन्न प्रकार की कविताएँ, गीत, गजल, निबंध, लघुकथाएँ और उपन्यास आदि रचनाएँ लिखी। उनकी कुछ महत्वपूर्ण रचनाएँ निम्नलिखित हैं:

कविताएँ:

  1. “यम”
  2. “पर्व”
  3. “हलहल”
  4. “अहल्या”
  5. “मूसलाधार”
  6. “दीप्तिमन्त”
  7. “निर्जला”
  8. “पंख”
  9. “आकाशगंगा”
  10. “देखो जीवन का आदर्श”

निबंध:

  1. “हिमालय की यात्रा”
  2. “नदी की आत्मकथा”
  3. “पुस्तक हमारे मित्र”
  4. “समय का महत्व”
  5. “महिला शिक्षा का महत्व”
  6. “भ्रष्टाचार की समस्या”

उपन्यास:

  1. “गुलेरी”
  2. “अबोला”
  3. “बिजली”
  4. “परीक्षा”
  5. “शिक्षा के मोती”

इनमें से कुछ रचनाएँ माखनलाल चतुर्वेदी की प्रमुखतम और प्रशंसित रचनाएँ हैं, जो हिंदी साहित्य के महत्वपूर्ण हिस्से मानी जाती हैं। उनकी रचनाओं में उन्होंने समाज के विभिन्न पहलुओं को छूने का प्रयास किया और उनके काव्य में गहरे भावनात्मकता और सुंदरता की एक अद्वितीय मिश्रण प्रस्तुत किया।

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माखनलाल चतुर्वेदी के अनमोल वचन | Makhanlal Chaturvedi Anmol Vachan

माखनलाल चतुर्वेदी के अनमोल वचन उनकी सोच और साहित्यिक दृष्टिकोण को प्रकट करते हैं, जो उनकी रचनाओं में प्रकट होते हैं। यहाँ कुछ माखनलाल चतुर्वेदी के प्रसिद्ध वचन हैं:

  • “पत्थर की गलियों में बहुत सी मीलें जी चुका हूँ, अब मुझे राहगुजरों की तलाश है।”
  • “हर इंसान के साथ तीन वक्त का समय आता है: निकट होकर जाना है, जाता है, बहुत दूर चला जाता है।”
  • “जीवन का सही मतलब विकसित होने का नहीं, बल्कि दूसरों को विकसित करने का है।”
  • “कुछ करने की जिद अगर तुम्हारे दिल में हो, तो तुम जिंदगी में जितना भी मुश्किल काम कर सकते हो।”
  • “बाजार के रूल्स को चुनौती देने में मजा आता है, लेकिन कुछ भी बिना बाजार के असर के खरीदने में बहुत ज्यादा मजा आता है।”
  • “समय गुजरता जाता है, लेकिन समय की कभी गुजारिश नहीं करता।”
  • “बदलाव उसीके साथ आता है, जो स्वयं बदलाव करता है।”
  • “हमें सिर्फ वो दुःख होता है जो हम खुद को देखते हैं, बाकी सब तो आगे चलता ही रहता है।”
  • “व्यक्तिगत सफलता वो है जब आपके शब्द आपके सोच से मेल खाते हैं।”
  • “कल्पना ही साहित्य की जीवनदायिनी है।”

ये वचन माखनलाल चतुर्वेदी की गहरी सोच और जीवनदृष्टि को प्रकट करते हैं और उनकी रचनाओं के माध्यम से समाज के प्रति उनके दृष्टिकोण को साझा करते हैं।

माखनलाल चतुर्वेदी की कविता | Makhanlal Chaturvedi Ki Kavita

माखनलाल चतुर्वेदी की कई प्रसिद्ध कविताएँ हैं जो उनकी साहित्यिक महत्वपूर्णता को प्रकट करती हैं। यहाँ, मैं कुछ उनकी प्रसिद्ध कविताओं का उदाहरण दे रहा हूँ:

  1. “यम”: यम जो धरती पर चलें नायिका, रात की अंधेरी बायिका, जिसके पीछे दुःख की चायिका, यमराज, यमराज।
  2. “पर्व”: गगन धरातल समा गया जब, फूलों ने बैठ कर अपना चमकारा लिया, भूमि की मुखमंडल सी तब, सबने अपना आकारा लिया।
  3. “हलहल”: मेरे नगर की मुख्य सड़कों पर, यह बन्दूक बाबू सहयोगी ने चलाई है। विश्वास है मेरे देश के नेताओं पर, उन्होंने सिपाहियों की तबला बजाई है।
  4. “मूसलाधार”: श्रीकृष्ण की मूसल से दानव की नश्तरगाज, धरती की माता का वाहन गरुड़ उड़ा लाया, परंपरागत पत्थरों को मोहित सांप विद्रावित किया, मूसलाधार शक्ति से नव जीवन को जगाया।

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