भाषा के कितने रूप होते हैं
Bhasha Ke Kitne Roop Hote Hain: प्रिय दोस्तों, आज इस लेख में हमने भाषा के बारे में बताया है, आप जानते ही है की हमारी पूरी दुनिया में अलग अलग धर्मो के लोग रहते है| और सबकी अलग अलग भाषाएँ भी होती है, इसलिए आज हम आपको यह बताएंगे की Bhasha Ke Kitne Roop Hote हैं भाषा के कितने रूप होते है, भाषा किसे कहते है आदि|
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भाषा किसे कहते हैं | Bhasha Kise Kehte Hain
Bhasha Ke Kitne Roop Hote Hain भाषा किसे कहते है? भाषा हमारे जीवन में एक ऐसा साधन है जिसके द्वारा मनुष्य बोलकर, सुनकर, व लिखकर आदि अपने भावो या विचारो का आदान-प्रदान करते है |
अगर दूसरे शब्दों में कहा जाए तो जब भी हम भाषा का उपयोग करके अपने विचारो को सामने वाले व्यक्ति को बता या समझाते है, उसे भाषा कहते है |
भाषा के कितने रूप होते हैं? | Bhasha Ke Kitne Roop Hote Hain
Bhasha Ke Kitne Roop Hote Hain भाषा के मुख्य रूप से तीन रूप है, जिसे हम बोल कर, लिख कर व संकेत के रूप में अपने विचार को प्रकट करते हैं:
- मौखिक भाषा
- लिखित भाषा
- सांकेतिक भाषा
मौखिक भाषा किसे कहते है ?
मौखिक भाषा, भाषा के वह रूप है, जिसमें किसी भी व्यक्ति को अपने मन और दिमाग के बातों और विचारों को बोलकर समझाया जाता है।
अगर दूसरे शब्दों में कहा जाए तो भाषा के इस रूप मे व्यक्ति किसी को बोलकर कुछ भी समझा सकता है क्यूंकि मौखिक भाषा का उपयोग करने से किसी भी व्यक्ति को समझाने में काफी आसानी होती है और वह व्यक्ति काफी कम समय में अच्छी तरह से कोई भी चीज को समझ सकता है, इसे मौखिक भाषा कहते है|
उदाहरण: जब भी दो व्यक्ति आपस में वार्तालाब करते हैं तो उनमें विचारों का आदान-प्रदान मौखिक रूप से होता है| या जब आप किसी से मोबाइल पर बात करते हैं तो वहां मौखिक भाषा का प्रयोग होता है|
लिखित भाषा किसे कहते हैं ?
लिखित भाषा, भाषा का वह रूप है जिसमें लोग किसी भी व्यक्ति को समझाने के लिए अपने बातों और विचारों को लिखकर व्यक्त करते हैं।
दूसरे शब्दों में कहा जाए तो लिखित भाषा से ज्ञान का संचय किया जाता है जिससे कोई भी जानकारी को लिखित रूप देकर एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचाया जा सकता है|
उदाहरण: जब किसी कक्षा में अध्यापक बच्चों को पढ़ाते समय अपने विचारों को लिखकर समझाता है तो वह लिखित भाषा का प्रयोग करता है|
सांकेतिक भाषा किसे कहते है ?
सांकेतिक भाषा, भाषा का वह रूप है जिसके माध्यम से कोई भी व्यक्ति सिर्फ संकेत देकर सामने वाले व्यक्ति को अपने भावनाओं और विचारों को व्यक्त करता है उसी को सांकेतिक भाषा कहते हैं।
दूसरे शब्दों में कहा जाये तो यदि आपको सामने वाले व्यक्ति को किसी चीज से संबंधित जानकारी प्रदान करना चाहते हो तो आप उनको एक विशिष्ट सांस्कृतिक रूप, इशारो में उस चीज के बारे में जानकारी दे सकते हैं|
उदाहरण: जब प्राचीन काल में मानव अपने भाव तथा विचारों को प्रकट करने के लिए संकेतों का सहारा लेता था | जैसे- हाथ के इशारे से आने या जाने का संकेत करना|
भाषा की विशेषताएं | Bhasha Ki Visheshtayen
भाषा की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:-
- भाषा प्रतीकात्मक है|
- भाषा ध्वनिमय है |
- भाषा का संबंध मनुष्य से है|
- भाषा परिवर्तनशील है|
- भाषा की क्षेत्रीय सीमा होती है|
- भाषा सरलता एवं प्रौढ़ता की दिशा में सतत गतिशील होती है|
- भाषा का विकास और पतन भी सांस्कृतिक विकास और समाज के पतन से जुड़ा हुआ है।
निष्कर्ष
Bhasha Ke Kitne Roop Hote Hain भाषा के तीन मुख्य रूप हैं। इस पोस्ट के माध्यम से तीन मुख्य प्रकार की भाषा को समझाया गया है। तो आप अच्छी तरह समझ गए होंगे कि भाषा के कई रूप होते हैं। व्याकरण के अनेक मुद्दे हैं, भाषा भी उनमें से एक है। इसके अलावा आपको इस वेबसाइट में व्याकरण की अच्छी जानकारी भी मिल जाएगी। Bhasha Ke Kitne Roop Hote Hain
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