उपमा अलंकार किसे कहते हैं? | Upma Alankar Kise Kahte Hai
Upma Alankar Kise Kahte Hai:- उपमा अलंकार एक कविता या पद्य के रूप में किसी वस्तु, व्यक्ति, स्थान या घटना को एक दूसरे से तुलना करने के लिए किया गया उपयोग है। इसलिए, उपमा अलंकार को तुलना अलंकार भी कहा जाता है।
उपमा अलंकार (Upma Alankar) के माध्यम से कवि या लेखक अपनी रचना को सुंदर और सामंजस्यपूर्ण बनाते हैं। इसके अलावा, उपमा अलंकार को कुछ मायनों में मुक्तक अलंकार भी कहा जाता है।
उपमा अलंकार की परिभाषा | Upma Alankar Ki Paribhasha
उपमा अलंकार (Upma Alankar) एक ऐसा अलंकार है जो किसी वस्तु, व्यक्ति, स्थान, या घटना को उससे सम्बंधित दूसरी वस्तु, व्यक्ति, स्थान या घटना से तुलना करके व्यक्त किया जाता है। इसके माध्यम से, कवि या लेखक अपनी रचनाओं में उपयुक्त तस्वीरें और अभिव्यक्तियां प्रदान करते हैं। उपमा अलंकार एक सौंदर्य अलंकार है जो कवि या लेखक की रचनाओं को रूचिकर बनाता है।
उपमा अलंकार का उपयोग कवि या लेखक द्वारा उन विषयों को दर्शाने के लिए किया जाता है जो अपनी जड़ों से उपलब्ध नहीं होते हैं। उदाहरण के लिए, सूर्य को एक आग की तरह तुलना किए जाने से उसकी गति, तेज़ता और उसकी धातुओं का वर्णन किया जा सकता है।
इसलिए, उपमा अलंकार एक ऐसा अलंकार है जो कवि या लेखक को रचना में सौंदर्य और रूचिकरता जोड़ने में मदद करता है।
उपमा अलंकार की उदाहरण | Upma Alankar Ke Udhahran
उपमा अलंकार कुछ इस प्रकार से होती है:
- उसकी आँखें भालू की तरह थीं। (आँखों को भालू से तुलना करना)
- वह घूमता हुआ था जैसे एक शेर। (व्यक्ति के घूमने की तुलना शेर से की गई है)
- उसने उस घड़ी को देखा जैसे कि समय थम गया हो। (घड़ी के देखने को समय के ठहरने से तुलना किया गया है)
- मैं एक नदी हूँ जो धीमे धीमे बहती हुई एक छोटी नाव को अपनी गोद में लेती हूँ। (व्यक्ति को नदी के रूप में दर्शाने के लिए उपमा का उपयोग किया गया है)
- इन उदाहरणों में, एक वस्तु, व्यक्ति, स्थान या घटना को दूसरी वस्तु, व्यक्ति, स्थान या घटना से तुलना करके उपमा अलंकार का उपयोग किया गया है।
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उपमा अलंकार के भेद | Upma Alankar Ke Bhed
उपमा अलंकार (Upma Alankar) के निम्नलिखित भेद होते हैं:
- दृष्टांत उपमा – इसमें एक वस्तु को दूसरी वस्तु से तुलना करके उपमा अलंकार का उपयोग किया जाता है। इसमें कई बार तुलना के लिए वास्तविक दृष्टांत का उपयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए, “वह लाल गुलाब की तरह खिल उठा”। यहां वस्तु (खुशी का अनुभव) लाल गुलाब के साथ तुलना की गई है।
- रूपांतरित उपमा – इसमें एक वस्तु को दूसरी वस्तु के रूप में दिखाया जाता है। यह उपमा अलंकार का सबसे सामान्य भेद होता है। उदाहरण के लिए, “उसकी आँखें सूरज की तरह चमकती थीं”। इस उदाहरण में, वस्तु (आँखें) को सूरज के साथ तुलना करके रूपांतरित किया गया है।
- उपमा के साथ समानता वाक्य – इसमें दो वाक्यों के द्वारा एक वस्तु को दूसरी वस्तु से तुलना किया जाता है। उदाहरण के लिए, “वह शेर था। सबका ध्यान उसकी ओर खींचता था”। इस उदाहरण में, दो वाक्यों के माध्यम से वस्तु (शेर) को सभी के ध्यान के साथ तुलना की गई है।
- संदर्भ उपमा – इसमें एक वस्तु को किसी संदर्भ से जोड़कर तुलना की जाती है। उदाहरण के लिए, “उसकी खुशी की थी जैसे बारिश के बाद फसलों की फिर से उमड़ान”। इस उदाहरण में, वस्तु (खुशी) को बारिश के बाद फसलों के उमड़ान के संदर्भ से तुलना की गई है।
उपमा के साथ क्रियात्मक वाक्य – इसमें दो वाक्यों के द्वारा एक वस्तु को दूसरी वस्तु से तुलना की जाती है, लेकिन वाक्यों में क्रिया भी होती है। उदाहरण के लिए, “उसने मेरे दिल को तोड़ दिया। मेरा दिल उसके पास अब टूटा-फुटा रहता है”। इस उदाहरण में, दो वाक्यों के माध्यम से वस्तु (दिल) को तोड़ने की क्रिया के साथ तुलना की गई है।
इन सभी भेदों में, उपमा अलंकार के द्वारा एक वस्तु को दूसरी वस्तु से तुलना करके वाक्य को विस्मयादिबोधक बनाया जाता है।
निष्कर्ष
उपमा अलंकार (Upma Alankar) भाषा का एक महत्वपूर्ण अंग है जो कविता और प्रोज़ा दोनों में प्रयोग किया जाता है। यह एक तरह का उपमारूप होता है जिसके द्वारा एक वस्तु को दूसरी वस्तु से तुलना करके वाक्य को विस्मयादिबोधक बनाया जाता है। उपमा अलंकार के पांच भेद होते हैं – आकांक्षा उपमा, रूपांतरण उपमा, उत्प्रेरण उपमा, संदर्भ उपमा और उपमा के साथ क्रियात्मक वाक्य। उपमा अलंकार बहुत ही सुंदर और प्रभावी होता है और इससे लेखक या कवि का विचार और भाव काफी स्पष्ट होता है।
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