सुभाष चंद्र बोस पर भाषण | Subhash Chandra Bose Speech in Hindi

प्रिय दोस्तों, आज मैं यहाँ सुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose) पर बात करने के लिए खड़ा हुआ हूँ। सुभाष चंद्र बोस भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायकों में से एक थे। उन्होंने भारतीय आजादी के लिए अपना पूरा समर्पण किया और अपनी वीरता और साहस से लोगों को प्रेरित किया।

सुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose) ने अपने जीवन में अनेक उदारवादी और क्रांतिकारी कार्यों का संचालन किया। उन्होंने 1938 में हरिपुर कांवेंशन की स्थापना की, जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के समर्थन में नेतृत्व करता था। उन्होंने बाद में आज़ाद हिंद सरकार की स्थापना की, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अधिकारी बनने के लिए प्रयास कर रही थी।

सुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose) का एक और महत्वपूर्ण योगदान उनकी आज़ाद हिंद फ़ौज थी, जिसे नेतृत्व करते हुए उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता के लिए लड़ाई ली। इस फ़ौज ने भारतीयों की आजादी के लिए विभिन्न युद्ध क्षेत्रों में अपना योगदान दिया और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के रास्ते में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

सुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose) के विचार और विचारधारा भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को प्रभावित करते रहे हैं। उन्होंने “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हे आज़ादी दूंगा” के मशहूर वाक्य कहा, जिससे उनकी निडरता और संकल्प का प्रतीकता होती है। उन्होंने संघर्ष करते हुए कहा, “आंदोलन में हमें अपनी क्षमताओं को विकसित करना होगा।” उनके यह वचन हमें यह सिखाते हैं कि हमें आगे बढ़ने के लिए स्वयं को सशक्त और सक्षम बनाने की जरूरत होती है।

सुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose) एक अद्भुत नेता थे, जो अपने समर्पण, साहस और संकल्प के लिए याद किए जाते हैं। उन्होंने हमें एक स्वतंत्र और आदर्शमय भारत के सपने को देखने का संकेत दिया। हमें सुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose) के महानायकत्व, दृढ़ संकल्प और देशभक्ति का आदर करना चाहिए।

सुभाष चंद्र बोस जी का जीवन | Subhash Chandra Bose Speech in Hindi

सुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose), जिन्हें नेताजी के नाम से भी जाना जाता है, 23 जनवरी, 1897 को ओड़ीशा, भारत में जन्मे। उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस था और माता का नाम प्रभावती देवी था। उनका परिवार एक मध्यमवर्गीय बंगाली परिवार था।

सुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose) ने अपनी पढ़ाई बंगाल में की और उन्होंने प्रेसिडेंसी कॉलेज, कोलकाता से अपनी उच्च शिक्षा पूरी की। उनकी पढ़ाई में उनकी राष्ट्रीय भावनाओं और स्वाधीनता के प्रति उनकी गहरी इच्छा प्रकट होने लगी।

सुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose) ने अपनी संघर्षपूर्ण राजनीतिक करियर की शुरुआत भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में की। उन्होंने महात्मा गांधी के अधीन अपना नेतृत्व स्थान स्थापित किया और स्वतंत्रता संग्राम में अपना योगदान दिया।

हालांकि, स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उनकी दृष्टि में दंगल आई और उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से अलग होकर 1939 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (मार्क्सवादी) की स्थापना की। उन्होंने एक नई स्वतंत्रता संगठन बनाने की योजना बनाई थी, जिसे “आजाद हिंद” कहा गया था। इसके बाद उन्होंने अलग-थलग होने के बावजूद भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपनी लड़ाई जारी रखी और अपनी राष्ट्रीय आजादी के लिए कठोर संघर्ष जारी रखा।

1941 में, जब द्वितीय विश्वयुद्ध चल रहा था, उन्होंने जर्मनी को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का साथी बनाने के लिए जर्मन सरकार के पास गए और हिटलर से मिले। उन्होंने जापानी और जर्मन शासन के खिलाफ योजनाबद्ध संघर्ष के लिए भारतीयों को प्रेरित किया और अपनी आजाद हिंद फौज का गठन किया। इस फौज ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाई और अनेक युद्धों में भाग लिया।

दुर्भाग्य से, 18 अगस्त, 1945 को एक हवाई दुर्घटना के दौरान, सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु एक विवादों से घिरी हुई है और विभिन्न संस्थानों और राजनीतिक दलों ने इसके बारे में अलग-अलग परस्पर विपरीत दावे किए हैं।

सुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose) एक महानायक, क्रांतिकारी और स्वतंत्रता सेनानी थे। उनका समर्पण, साहस और दृढ़ संकल्प भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के लिए महत्वपूर्ण योगदान था। उनका जीवन एक प्रेरणास्रोत रहा है और हमें स्वतंत्र और आदर्शमय भारत के सपने को प्राप्त करने के लिए सशक्त और समर्पित रहने का संकेत देता है।

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निष्कर्ष

सुभाष चंद्र बोस जी का जीवन एक महान निष्कर्ष दिलाता है कि एक व्यक्ति की सामर्थ्यशाली इच्छाशक्ति, संकल्प और समर्पण से उन्नति की ऊंचाईयों तक पहुंच सकती है। उनकी निडरता, अद्भुत नेतृत्व क्षमता, देशभक्ति और स्वतंत्रता के प्रति अटूट संकल्प एक प्रेरणास्रोत हैं।

उनका जीवन एक संघर्षपूर्ण यात्रा है जो हमें यह सिखाती है कि हमें अपने लक्ष्यों के प्रति प्रतिबद्ध रहना चाहिए, अपार संघर्ष के बावजूद अड़चनों को पार करना चाहिए और निरंतर उन्नति करने के लिए स्वयं को समर्पित करना चाहिए। सुभाष चंद्र बोस जी के जीवन से हमें यह संदेश मिलता है कि एक अद्भुत और स्वतंत्र भारत के सपने को प्राप्त करने के लिए हमेशा संघर्ष करना, संघटित होना और समर्पित रहना चाहिए।

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