मनमोहन सिंह की जीवनी (Biography), राजनितिक करियर & पब्लिक इमेज ।

मनमोहन सिंह की जीवनी:

भूमिका: 

26 सितंबर 1932 को पंजाब के गाह कासिम जिले की मौलाना तहसील में पैदा हुए मनमोहन सिंह एक भारतीय राजनीतिज्ञ और आर्थिक विशेषज्ञ थे। उन्होंने भारत के प्रधान मंत्री के रूप में दो कार्यकाल (2004-2014) कार्य किए। भारतीय राजनीति में उनका नाम उनकी नीति-निर्धारण क्षमता और शांतिपूर्ण उदारता के लिए जाना जाता है।

मनमोहन सिंह ने पंजाब विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त की और फिर इंग्लैंड के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। अपनी शिक्षा के बाद, उन्होंने विभिन्न शैक्षणिक स्थानों पर अध्ययन और शोध की जीवनशैली अपनाई। मनमोहन सिंह अपनी आर्थिक विशेषज्ञता के लिए जाने जाते हैं और उन्होंने अपने करियर के दौरान विभिन्न आर्थिक संगठनों और विश्वविद्यालयों में शिक्षण और अनुसंधान कार्य किया है।

मनमोहन सिंह ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1991 में की, जब उन्होंने प्रधान मंत्री पीवी नरसिम्हा के अधीन वित्त मंत्री के रूप में कार्य करना शुरू किया।

मनमोहन सिंह ने 2004 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में प्रधान मंत्री पद के लिए चुनाव लड़ा और जीता। उन्होंने दो कार्यकाल (2004-2009 और 2009-2014) तक प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया। शांतिपूर्ण और नैतिक नेतृत्व के लिए भी मनमोहन सिंह की सराहना की जाती है. अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने आर्थिक और सामाजिक स्थिति में सुधार के लिए कई योजनाएं शुरू कीं, लेकिन उन्हें कई विवादों में भी उलझे रहना पड़ा।

1991 में, जब भारत को एक गंभीर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा, नवनिर्वाचित प्रधान मंत्री, पी. वी. नरसिम्हा राव ने, अराजनीतिक सिंह को वित्त मंत्री के रूप में अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया। अगले कुछ वर्षों में, कड़े विरोध के बावजूद, उन्होंने कई संरचनात्मक सुधार किए जिससे भारत की अर्थव्यवस्था उदार हुई।

हालाँकि ये उपाय संकट को टालने में सफल साबित हुए और एक प्रमुख सुधारवादी अर्थशास्त्री के रूप में विश्व स्तर पर सिंह की प्रतिष्ठा में वृद्धि हुई, लेकिन मौजूदा कांग्रेस पार्टी ने 1996 के आम चुनाव में खराब प्रदर्शन किया। इसके बाद, सिंह 1998-2004 की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान राज्यसभा (भारत की संसद का ऊपरी सदन) में विपक्ष के नेता थे।

2004 में, जब कांग्रेस के नेतृत्व वाला संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सत्ता में आया, तो इसकी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अप्रत्याशित रूप से सिंह को प्रधान मंत्री पद छोड़ दिया। उनके पहले मंत्रालय ने राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन, विशिष्ट पहचान प्राधिकरण, ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना और सूचना का अधिकार अधिनियम सहित कई प्रमुख कानूनों और परियोजनाओं को क्रियान्वित किया।

2008 में, संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ एक ऐतिहासिक नागरिक परमाणु समझौते के विरोध के कारण वाम मोर्चा दलों द्वारा अपना समर्थन वापस लेने के बाद सिंह की सरकार लगभग गिर गई थी। उनके शासनकाल में भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ी।

2009 के आम चुनाव में यूपीए ने बढ़े हुए जनादेश के साथ वापसी की और सिंह प्रधानमंत्री पद पर बने रहे। अगले कुछ वर्षों में, सिंह की दूसरी सरकार को 2010 राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन, 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले और कोयला ब्लॉक आवंटन पर भ्रष्टाचार के कई आरोपों का सामना करना पड़ा।

2014 में उनका कार्यकाल समाप्त होने के बाद उन्होंने 2014 के भारतीय आम चुनाव के दौरान पीएम पद की दौड़ से बाहर हो गए। सिंह कभी भी लोकसभा के सदस्य नहीं थे, लेकिन उन्होंने राज्यसभा के सदस्य के रूप में कार्य किया है, 1991 से 2019 तक असम राज्य और 2019 से राजस्थान का प्रतिनिधित्व किया है।

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मनमोहन सिंह का प्रारंभिक जीवन:

मनमोहन सिंह का प्रारंभिक जीवन बहुत छोटा-सा गाँव में शुरू हुआ था, लेकिन उनकी मेहनत और उदारता ने उन्हें अच्छे शिक्षा के माध्यम से ऊँचाइयों तक पहुँचाया।

मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को हुआ था, जबकि उनका पालन-पोषण पंजाब के एक छोटे से गाँव मौलाना में हुआ था। उनके पिता का नाम सरदार गुरदीप सिंह था। उनके प्रारंभिक शिक्षा का केंद्र स्कूल, अमृतसर और होशियारपुर में था।

मनमोहन सिंह ने अपनी शिक्षा को बढ़ाने के लिए पंजाब विश्वविद्यालय में एकॉनॉमिक्स में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने इसके बाद इंग्लैंड के केम्ब्रिज विश्वविद्यालय से भी अर्थशास्त्र में अध्ययन किया और डॉक्टरेट प्राप्त किया। मनमोहन सिंह ने अपनी करियर की शुरुआत अध्यापन के क्षेत्र में की, और उन्होंने विभिन्न विश्वविद्यालयों और आर्थिक संस्थानों में शिक्षा और अनुसंधान का कार्य किया।

मनमोहन सिंह ने आर्थिक सलाहकार के रूप में भी कार्य किया और उन्हें अपनी आर्थिक विशेषज्ञता के लिए बड़ी पहचान मिली। मनमोहन सिंह की राजनीतिक पहलुओं में पहली कदमें उन्होंने 1971 में भारतीय संघ के साथ जुड़कर शुरू की। बाद में, उन्होंने प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा की नेतृत्व में वित्तमंत्री के रूप में राजनीतिक करियर की शुरुआत की।

यहां दी गई जानकारी सिर्फ मेरे ज्ञान की अद्यतितता की दृष्टि से है, और कृपया ध्यान दें कि आपको ऑनलाइन स्रोतों द्वारा पुष्टि करनी चाहिए, क्योंकि मेरी जानकारी की कटौती के बाद और भी घटनाएं हो सकती हैं।

मनमोहन सिंह का शिक्षा:

मनमोहन सिंह ने अपनी शिक्षा की शुरुआत गाँव मौलाना में की थी, जहां उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की। उनके पिता का नाम सरदार गुरदीप सिंह था। उनके पालन-पोषण में और उनके गाँव के वातावरण में होने वाले संघर्षों के बावजूद, मनमोहन सिंह ने अपनी पढ़ाई में प्रतिबद्धता दिखाई और ऊँचे शिक्षा स्तर तक पहुंचे।

उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से एकॉनॉमिक्स में स्नातक की डिग्री प्राप्त की और फिर इंग्लैंड के केम्ब्रिज विश्वविद्यालय से भी अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट हासिल किया। उनकी ऊँची शिक्षा ने उन्हें एक शिक्षावादी और आर्थिक विशेषज्ञ के रूप में मशहूर किया।

मनमोहन सिंह ने अपनी ऊँची शिक्षा के बाद विभिन्न विश्वविद्यालयों और आर्थिक संस्थानों में शिक्षा और अनुसंधान का कार्य किया। उनका योगदान आर्थिक विशेषज्ञता के क्षेत्र में काफी महत्वपूर्ण रहा है।

इसके बाद, उन्होंने आर्थिक सलाहकार के रूप में भी कार्य किया और अपने विशेषज्ञता को देश और विदेश में मान्यता दिलाई। उन्होंने अपने करियर के दौरान भारतीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने योगदान के लिए कई पुरस्कार भी प्राप्त किए हैं।

मनमोहन सिंह का शुरुआती करियर:

मनमोहन सिंह का शुरुआती करियर अर्थशास्त्र के क्षेत्र में हुआ था, और उन्होंने अपनी ऊँची शिक्षा के बाद इस क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई। यहां उनके शुरुआती करियर के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं की चर्चा है:

मनमोहन सिंह ने पंजाब विश्वविद्यालय से एकॉनॉमिक्स में स्नातक की डिग्री प्राप्त की और उसके बाद इंग्लैंड के केम्ब्रिज विश्वविद्यालय से भी अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट हासिल किया। उन्होंने अपने विशेषज्ञता को बढ़ाने के लिए विभिन्न विश्वविद्यालयों और संस्थानों में अध्यापन का कार्य किया।

मनमोहन सिंह ने अपने करियर के प्रारंभिक दौर में आर्थिक अनुसंधान के क्षेत्र में काम किया। उन्होंने विभिन्न आर्थिक मुद्दों पर अपने अद्वितीय दृष्टिकोण के लिए पहचान बनाई। मनमोहन सिंह ने अपने करियर के दौरान विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में भी काम किया, जिससे उन्हें अंतरराष्ट्रीय आर्थिक समृद्धि के क्षेत्र में भी पहचान मिली।

मनमोहन सिंह की राजनीतिक पहलुओं में पहली कदमें उन्होंने 1971 में भारतीय संघ के साथ जुड़कर शुरू की थी। उनकी ऊँची शिक्षा, आर्थिक विशेषज्ञता और व्यापक अंतरराष्ट्रीय अनुभव ने उन्हें राजनीति में उच्च पदों तक पहुंचने में मदद की।

उन्होंने अपने करियर के शुरुआती दौर में अर्थशास्त्रीय क्षेत्र में अपनी गहराईयों को बनाए रखा और इसने उन्हें बाद में भारतीय राजनीति में एक प्रमुख आर्थिक नेता बनने का मार्ग प्रदान किया।

मनमोहन सिंह का राजनितिक करियर:

मनमोहन सिंह का राजनीतिक करियर कांग्रेस पार्टी के साथ जुड़ने के बाद तेजी से बढ़ा. उन्होंने अपनी राजनीतिक प्रवृत्ति की शुरुआत 1971 में की जब उन्होंने भारतीय संघ के साथ मिलकर राजनीति में कदम रखा। इसके पश्चात्, उनका करियर बढ़ता रहा और उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। यहां उनके राजनीतिक करियर के कुछ महत्वपूर्ण हाथांतरण हैं:

मनमोहन सिंह का पहला बड़ा राजनीतिक पद 1982 में आया जब उन्होंने भारत के उपराष्ट्रपति के रूप में कार्य करने का दायित्व संभाला। उन्होंने इस पद पर 1987 तक कार्य किया। मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा के कैबिनेट में वित्तमंत्री के रूप में सेवा की और इस पद पर 1991 से 1996 तक रहे।

इस समय के दौरान, उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए, विदेशी निवेशों को बढ़ावा दिया, और विभिन्न आर्थिक सुधारात्मक नीतियों की शुरुआत की। मनमोहन सिंह ने वित्तमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद, उन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर के रूप में चुना गया। उन्होंने इस पद पर 1982 से 1985 तक कार्य किया। मनमोहन सिंह का सबसे महत्वपूर्ण और प्रमुख पद प्रधानमंत्री रहा।

उन्होंने पहली बार 2004 में कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इसके बाद, उन्होंने दूसरी बार भी 2009 में प्रधानमंत्री पद की कमान संभाली। उनका प्रधानमंत्री पद का कार्यकाल 2014 तक रहा। उनके कार्यकाल में वहाँ विभिन्न आर्थिक और सामाजिक योजनाएं शुरू की गईं, लेकिन उन्हें कई समस्याओं और विवादों का सामना करना पड़ा।

मनमोहन सिंह का राजनीतिक करियर विभिन्न पदों पर सेवा करने वाले एक अनुभवी और जाने-माने नेता के रूप में याद किया जाता है, और उन्होंने देश के आर्थिक विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।

मनमोहन सिंह का प्रधानमंत्री कार्यकाल:

मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री के रूप में दो कार्यकाल (2004-2009 और 2009-2014) तक सेवा की. उनके प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण घटनाएं और नीतियाँ घटित हुईं. यहां कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं की चर्चा की जा रही है:

आर्थिक सुधार योजनाएं: मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री बनने के बाद, उन्होंने आर्थिक सुधार के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण योजनाएं शुरू कीं। इनमें से कुछ मुख्य योजनाएं वित्तमंत्री थे:

महात्मा गांधी रोजगार योजना: इस योजना के तहत गाँवों और शहरों में रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए कई परियोजनाएं शुरू की गईं।

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM): इस मिशन के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्र में स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए गए।

राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (NRHM): इस मिशन के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूती प्रदान करने का प्रयास किया गया।

नई लाइबरलीज़ेशन की कड़ी आवश्यकता: मनमोहन सिंह ने भारतीय अर्थव्यवस्था में नए लाइबरलीज़ेशन की प्रक्रिया को मजबूत किया और विदेशी निवेश को बढ़ावा दिया। उन्होंने विशेषकर वित्त और उद्योग क्षेत्र में सुधार को बढ़ावा दिया।

आर्थिक सुरक्षा और सोशल नेतृत्व: मनमोहन सिंह के दौर के दौरान आर्थिक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए उन्होंने महत्वपूर्ण कदम उठाए और सोशल नेतृत्व को बढ़ावा दिया। आर्थिक सुरक्षा के लिए “महात्मा गांधी नरेगा” जैसी योजनाएं शुरू की गईं।

विदेशी नीतियाँ: मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री कार्यकाल में, भारत ने विभिन्न विदेशी राज्यों के साथ संबंध बढ़ाए और उदार व्यापार नीतियों का समर्थन किया। उन्होंने अपने दौर के दौरान विभिन्न अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में भाग लिया और भारत की गरिमा को बढ़ावा दिया।

नेशनल राइट टू इनफॉर्मेशन (RTI) एक्ट: मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री कार्यकाल में, सरकार ने नेशनल राइट टू इनफॉर्मेशन एक्ट को पारित किया, जिससे नागरिकों को सरकारी निर्णयों के लिए जानकारी प्राप्त करने का अधिकार मिला।

मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री कार्यकाल में देश ने अर्थशास्त्रीय विस्तार, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग, और सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में कई सुधार किए। हालांकि, कुछ मुद्दों पर उन्हें विवादों का सामना करना पड़ा और उन्हें आलोचना का सामना करना पड़ा।

उल्लेखनीय विधान:

उनके कार्यकाल के दौरान 2005 में महत्वपूर्ण राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (नरेगा) और सूचना का अधिकार अधिनियम संसद द्वारा पारित किया गया था। जबकि नरेगा की प्रभावशीलता विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न स्तरों पर सफल रही है, आरटीआई अधिनियम भ्रष्टाचार के खिलाफ भारत की लड़ाई में महत्वपूर्ण साबित हुआ है। [44] विधवाओं, गर्भवती महिलाओं और भूमिहीन व्यक्तियों के लिए नए नकद लाभ भी पेश किए गए।

भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन में उचित मुआवजा और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम, 2013 29 अगस्त 2013 को लोकसभा (भारतीय संसद का निचला सदन) में और 4 सितंबर 2013 को राज्यसभा (भारतीय संसद का ऊपरी सदन) में पारित किया गया था। ) ). इस विधेयक को 27 सितंबर 2013 को भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की सहमति प्राप्त हुई। यह अधिनियम 1 जनवरी 2014 से लागू हुआ।

बच्चों के लिए नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम 4 अगस्त 2009 को अधिनियमित किया गया था, जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21ए के तहत भारत में 6 से 14 वर्ष के बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के महत्व के तौर-तरीकों का वर्णन करता है।[51] 1 अप्रैल 2010 को यह अधिनियम लागू होने पर भारत शिक्षा को प्रत्येक बच्चे का मौलिक अधिकार बनाने वाले 135 देशों में से एक बन गया।

विदेश नीति:

मनमोहन सिंह ने पी.वी. द्वारा शुरू की गई व्यावहारिक विदेश नीति को जारी रखा। नरसिम्हा राव और भारतीय जनता पार्टी के अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा जारी रखा गया। सिंह ने पाकिस्तान के साथ अपने पूर्ववर्ती अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा शुरू की गई शांति प्रक्रिया को जारी रखा। दोनों देशों के शीर्ष नेताओं की उच्च स्तरीय यात्राओं के आदान-प्रदान ने उनके कार्यकाल पर प्रकाश डाला है। सिंह के कार्यकाल में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के साथ सीमा विवाद को खत्म करने के प्रयास किए गए हैं।

नवंबर 2006 में, चीनी राष्ट्रपति हू जिंताओ ने भारत का दौरा किया जिसके बाद जनवरी 2008 में सिंह की बीजिंग यात्रा हुई। भारत-चीन संबंधों में एक बड़ा घटनाक्रम चार दशकों से अधिक समय तक बंद रहने के बाद 2006 में नाथुला दर्रे को फिर से खोलना था। पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की स्टेट काउंसिल के प्रधान मंत्री ली केकियांग ने 19 से 21 मई 2013 तक भारत (दिल्ली-मुंबई) की राजकीय यात्रा की। सिंह ने 22 से 24 अक्टूबर 2013 तक चीन की आधिकारिक यात्रा की।

तीन समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए . दिल्ली-बीजिंग, कोलकाता-कुनमिंग और बैंगलोर-चेंगदू के बीच सिस्टर-सिटी साझेदारी स्थापित करना। 2010 तक, पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है। अफगानिस्तान के साथ संबंधों में काफी सुधार हुआ है, भारत अब अफगानिस्तान को सबसे बड़ा क्षेत्रीय दानदाता बन गया है।

अगस्त 2008 में अफगान राष्ट्रपति हामिद करजई की नई दिल्ली यात्रा के दौरान, मनमोहन सिंह ने अधिक स्कूलों, स्वास्थ्य क्लीनिकों, बुनियादी ढांचे और रक्षा के विकास के लिए अफगानिस्तान को सहायता पैकेज बढ़ाया। सिंह के नेतृत्व में, भारत अफगानिस्तान को सबसे बड़े सहायता दाताओं में से एक के रूप में उभरा।

मनमोहन सिंह पब्लिक इमेज:

मनमोहन सिंह की पब्लिक इमेज विभिन्न दृष्टिकोणों से देखी जा सकती है, और यह व्यक्ति के स्वभाव, राजनीतिक स्टैंड, और कार्यक्षेत्र में उनके कार्यों पर निर्भर करती है। यहां कुछ प्रमुख पहलुओं की चर्चा की जा रही है:

शिक्षा और विशेषज्ञता: मनमोहन सिंह को एक ऊची शिक्षा प्राप्त अर्थशास्त्री और आर्थिक विशेषज्ञ के रूप में जाना जाता है। उन्होंने विभिन्न विश्वविद्यालयों में शिक्षा और अनुसंधान का कार्य किया और अपनी ऊँची शिक्षा की दृष्टि से उन्हें आर्थिक मुद्दों में अद्वितीय दृष्टिकोण मिला।

आर्थिक प्रबंधन का अनुभव: उनके आर्थिक विशेषज्ञता के क्षेत्र में उनका विशेषज्ञता और अनुभव उन्हें वित्तमंत्री और प्रधानमंत्री के पद पर ले जाने के लिए एक उच्च स्तर पर पहुंचाता है। उन्होंने आर्थिक सुधारों को बढ़ावा देने के लिए कई नीतियाँ और योजनाएं प्रदर्शित कीं, जिससे देश की आर्थिक गति में सुधार हुआ।

विश्वसामाजिकता: मनमोहन सिंह को विश्वसामाजिकता के प्रति उनकी संवेदनशीलता के लिए भी जाना जाता है। उन्होंने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठनों में अपने योगदान के माध्यम से विश्व के साथ मित्रता बनाए रखने का प्रयास किया।

नीतिगत उदारता: मनमोहन सिंह को उदार और शिष्ट व्यक्ति के रूप में जाना जाता है। उनकी नीतिगत उदारता और सहिष्णुता के कारण उन्हें देश और विदेश में सम्मान की हासिल है।

कार्यशैली: मनमोहन सिंह को एक शानदार कार्यशैली के साथ जाना जाता है। उनकी शांतिपूर्ण और विचारशील व्यक्तित्व के कारण उन्होंने राजनीतिक और आर्थिक क्षेत्र में सम्मान प्राप्त किया है।

इंडिपेंडेंट ने सिंह को “दुनिया के सबसे सम्मानित नेताओं में से एक” और “असामान्य शालीनता और शालीनता का व्यक्ति” बताया, यह देखते हुए कि वह मारुति 800 चलाते हैं, जो भारतीय बाजार में सबसे साधारण कारों में से एक है। खुशवंत सिंह ने सिंह की भारत के सर्वश्रेष्ठ प्रधान मंत्री के रूप में सराहना की, यहाँ तक कि उन्हें जवाहरलाल नेहरू से भी ऊँचा दर्जा दिया।

उन्होंने अपनी पुस्तक एब्सोल्यूट खुशवंत: द लो-डाउन ऑन लाइफ, डेथ एंड मोस्ट थिंग्स इन-बिटवीन में एक घटना का उल्लेख किया है, जहां 1999 के लोकसभा चुनाव हारने के बाद, सिंह ने तुरंत लेखक से उधार लिए गए ₹ 2 लाख (यूएस $ 2,500) वापस कर दिए थे। टैक्सी किराये पर लेने के लिए. खुशवंत सिंह ने उन्हें ईमानदारी का सबसे अच्छा उदाहरण बताते हुए कहा, “जब लोग ईमानदारी की बात करते हैं, तो मैं कहता हूं कि सबसे अच्छा उदाहरण वह व्यक्ति है जो देश के सर्वोच्च पद पर बैठा है।”

2010 में, न्यूज़वीक पत्रिका ने उन्हें एक ऐसे विश्व नेता के रूप में मान्यता दी, जिसका अन्य राष्ट्राध्यक्षों द्वारा सम्मान किया जाता है, और उन्हें “ऐसा नेता जिसे अन्य नेता प्यार करते हैं” के रूप में वर्णित किया। लेख में मोहम्मद अलबरदेई को उद्धृत किया गया, जिन्होंने टिप्पणी की कि सिंह “एक राजनीतिक नेता को कैसा होना चाहिए इसका मॉडल हैं।” सिंह को 2010 में वर्ल्ड स्टेट्समैन पुरस्कार भी मिला। हेनरी किसिंजर ने सिंह को “दूरदृष्टि, दृढ़ता और अखंडता वाला राजनेता” बताया और उनके “नेतृत्व, जो भारत में चल रहे आर्थिक परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है” के लिए उनकी प्रशंसा की।

2010 की फोर्ब्स की विश्व के सबसे शक्तिशाली लोगों की सूची में मनमोहन सिंह को 18वां स्थान दिया गया था। फोर्ब्स पत्रिका ने सिंह को “नेहरू के बाद भारत के सर्वश्रेष्ठ प्रधान मंत्री के रूप में सर्वत्र प्रशंसा” के रूप में वर्णित किया। ऑस्ट्रेलियाई पत्रकार ग्रेग शेरिडन ने सिंह की “एशियाई इतिहास के महानतम राजनेताओं में से एक के रूप में प्रशंसा की।” सिंह को बाद में 2012 और 2013 में फोर्ब्स सूची में 19 और 28 स्थान पर रखा गया था।

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