Hasya Ras in Hindi | अवयव और इसके 50 उदाहरण
Hasya Ras in Hindi, प्रिय छात्रों आज हमने इस लेख में हास्य रस Hasya Ras के बारे में जानकारी दी है, आप जानेंगे की हास्य रास क्या होते है, उसकी परिभषा, अवयव और इसके उदाहरण | हमने यह जानकारी आपके मदद के लिए यहाँ दी है, क्यूंकि ज्यादातर परीक्षाओ में Hasya Ras रस के बारे में पूछा जाता है | इसलिए लेख को पूरा जरूर पढ़े यहाँ विस्तारपूर्वक दी है |
हास्य रस की परिभाषा | Hasya Ras Ki Paribhasha
जब भी हास्य नामक स्थायी भाव का विभाव, अनुभाव और संचारी भाव इस तीनो का संयोग होता है, उस समय Hasya Ras हास्य रस की उत्त्पति होती है |
जब भी किसी व्यक्ति या पदार्थ की असाधारण आकृति, वेशभूषा, चेष्टा आदि को देखकर अपने ह्रदय में जो भाव जागरूक होता है| उसे हास्य कहा जाता है, और यही जब विभाव, अनुभाव और संचारी भावो में संयोग होता है तो उसे हास्य रस कहते है |
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हास्य रस के अवयव / उपकरण | Hasya Ras in Hindi
Hasya Ras हास्य रस के प्रमुख पॉंच अवयव / उपकरण है :-
स्थायी भाव – हास्य (हास)
आलंबन विभाव – विकृत वेशभूषा, आकार, क्रियाएँ, चेष्टा आदि |
उद्दीपन विभाव – बातचीत, क्रियाकलाप, अनोखा पहनावा आदि |
अनुभाव – आंखों को मिचमिचाना, जोर से हसना, आश्रय की मुकसान आदि |
संचारी भाव – हंसी, उत्सुकता, हर्ष, आलस्य आदि |
Hasya Ras in Hindi | हास्य रस के उदाहरण
1. शरीर हाथी जैसा, त्वचा गैंडे जैसी।
खरबूज सी खोपड़ी, खरबूज सी बाल ||
2. गंगा हँसी दृश्य पर, भुजनी भुजंगा हँसी।
नंगी की शादी में सिर्फ हंसी मजाक में ही कोहराम मच गया।
3. मैंने ध्यान से देखा तो पाया कि प्रेमिका की मूंछें थीं।
ये हंगामा अब क्या करेगा चांदनी क्या करेगी ||
4. मित्र को ऋण देना मूर्ख कहलाता है।
मूर्ख वह मित्र होता है, जो धन लौटा देता है।
5. दिगंबर पर दूल्हा-दुल्हन को हंसी-ठिठोली नजर आई।
हिमाचल की बहार में जो आया मेहमान ||
6. इसलिए मैंने भगति अपूर्व बाल लिखा।
लहि प्रसाद माला जू भाऊ तनु कदंब का माल ||
7. लखन कहाँ हँसे, चलूँ। सुनहु देव सब बो सना |
का छति लभु जूं धनु तोरे। रेखा राम नयन का किनारा ||
8. बिहसी लखन ने कहा मृदु बानी, अहो मुनिषु महाभार अर्थात् |
पुनि पुनि मोहि देखता कुहारू, चाहत उड़ान फुंकी पहाड़ू ||
9. अलग वाहन, अलग कपड़े। विंहसे शिव समाज ने खुद देखा।
कौ मुखीन, बिपुल मुख कहु बिन पद कर कोड बहू पदबाहु ||
10. गुरु पुलिस दोऊ खड़े, काके लागु पाए |
पंगा लेकर पुलिस से, साबित बचा न कोए ||
11. जेहि दिसि बैठे नारद फूली।
सो दिसि तेहि न बिलोकी भूली।।
12. काहू न लखा सो चरित विशेखा।
जो सरूप नृप कन्या देखा।।
13. आगे चले बहुरि रघुराई।
पाछे लरिकन धुनी उड़ाई।।
14. हंसि-हंसि भाजै देखि दूलह दिगंबर को,
पाहुनी जे आवै हिमाचल के उछाह में।
15. इसको माता निकली है,उसने यह समझाया |
कह काका कविराय, सुने मेरे भाग्य विधाता ||
16. घंटा भर आलाप, राग में मारा गोता,
धीरे-धीरे खिसक चुके थे सारे श्रोता।
17. जेहि दिसि बैठे नारद फूली ।
सो दीसि तेहि न बिलोकी भूली ॥
18. आराम करो आराम करो ।
आराम जिंदगी की पूजा है।
इससे ना तपेदिक होती।
आराम शुधा की एक बूंद
तन का दुबलापन खो देती।।
19. विंध्यनिवासी दु:खी तपो तेज महा बिनु नारी दुखारे॥
गौतम तिय तारि तुलसी की कथा सुनिए मुनि वृंद सुखारे भी ||
20. हरे सिला सब चंद्रमुखी परसे पद मंजुल कंज तिहारे |
रघुनायक जो! करुणा करि कानन को पागु धरे ||
21. गंगा हँसी मस्तक पर, भुजंग हँसी चोटी में।
नंगी की शादी में हुए हास्यास्पद दंगे ||
22. कहु न लाखा सो चरित विशेखा।
निराकार कन्या को जिसने देखा ||
23. आगे चले बहुरि रघुराई |
पाचे लरिकन धूनी उदै।|
24. पिल्ले की गोद में सवार मोटर भाई।
अली भाली ने घूम घूम कर समाज सुधार किया।
25. बुरा वक्त देखकर गंजा क्यों रोया।
किसी भी हालत में आपके बालों को बख्शा नहीं जाना चाहिए।
26. बन्दर ने बन्दर से कहा चलो गंगा स्नान करते हैं।
बच्चों को घर पर छोड़ दो, हंगामा होने दो।
27. बहू सास की सेवा करती है। बुरा नहीं करता।
बजाय पैर दबाने के। गला दबना ।
28. आगे चले बहुरि रघुराई॥
पाचे लरिकन धूनी उदै।
29. गधा नेता से कहता है, तुझे शर्म नहीं आती।
गधे को इस बात का बुरा मत मानना।
30. मैं ऐसा महावीर हूँ, पापड़ फोड़ सकता हूँ।
अगर मुझे गुस्सा आता है तो मैं कागज भी मोड़ सकता हूं।
31. लाल के लोभी बत्रास, मुरली धारी लुकाय॥
मेरी भौहें हंसती हैं, मैं कहाँ नाचूँ?
32. अगर कील ठोकी जाए तो उसे ठोंक दें।
इस युग में जैसा है वैसा ही आचरण करना आवश्यक है।
33. मौत आपको मिलेगी, परिवार को फायदा होगा।
आज ही बीमा करा लें, नया साल आ गया है।
34. लखन कहाँ हँसे, हमको जाना है॥ सुनि प्रभु सब धनुष के समान हैं॥
का छति लभु जून धनु तोरे। राम नयन की भोर देखी।
35. बहू सास की सेवा करती है, बिगड़ती नहीं है।
पैर दबाने के बजाय दबाव से दम घुट रहा है।
36. मोहन कृष्ण में, गणेश गाजर में बसे।
करेले में बसती है मुरली, रक्षा करता है महेश ||
37. कहु न लाखा सो चरित विशेखा।
जिसने निराकार कन्या को देखा।
38. ललाट पर हंसती गंगा, भुजनी भुजंगा हंसती,
हास की को दंगा भयो, नंगा के ब्याव में।
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