पर्यावरण पर निबंद (Essay on environment)
Essay on environment : पर्यावरण में वह सभी प्राकृतिक संसाधन शामिल हैं जोकि कई तरीकों से हमारी मदद भी करते हैं तथा चारों और से हमें घेरे हुए हैं। यह हमें बढ़ने तथा विकसित होने का बेहतर माध्यम भी देता है, और यह हमें वह सब कुछ प्रदान करता है जो इस ग्रह पर जीवन यापन करने हेतु आवश्यक है। हमारा पर्यावरण भी हमसे कुछ मदद की अपेक्षा भी रखता है जिससे की हमारा लालन पालन हो, और हमारा जीवन भी बना रहे कभी नष्ट भी न हो। तकनीकी आपदा के वजह से भी दिन प्रति दिन हम प्राकृतिक तत्व को अस्वीकार रहे हैं।
विश्व पर्यावरण दिवस (Essay on environment)
Essay on environment : पृथ्वी पर जीवन बनाए रखने के लिए भी हमें पर्यावरण के वास्तविकता को बनाए रखना बहुत आवश्यक है। पूरे ब्रम्हांड में बस पृथ्वी पर ही जीवन है। और वर्षों से प्रत्येक वर्ष 05 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में भी लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए भी तथा साथ ही पर्यावरण स्वच्छता और सुरक्षा के लिए भी दुनिया भर में मनाया जाता है। पर्यावरण दिवस समारोह के विषय को जानने के लिए, हमारे पर्यावरण को किस प्रकार सुरक्षित रखा जाये तथा हमारे उन सभी बुरी आदतों के बारे में भी जानने के लिए जिससे पर्यावरण को हानि पहुंचता है, पर हम सभी को इस मुहिम का हिस्सा भी बनना चाहिए।
पर्यावरण सुरक्षा के लिए उपाए (Essay on environment)
Essay on environment : धरती पर रहने वाले सभी व्यक्ति द्वारा उठाए गए छोटे कदमों के माध्यम से भी हम बहुत ही आसान तरीके से पर्यावरण को सुरक्षित कर सकते हैं। हमें अपशिष्ट की मात्रा में भी कमी करना चाहिए तथा अपशिष्ट पदार्थ को वही फेकना भी चाहिए जहां पर उसका स्थान भी है। प्लास्टिक बैंग का उपयोग नही करना चाहिए और कुछ पुराने चीजों को फेकने के बजाय नये तरीके से ही उनका उपयोग करना भी चाहिए।
पर्यावरण प्रदूषण (Essay on environment)
Essay on environment : हमारा पर्यावरण धरती पर स्वस्थ जीवन को अस्तित्व में रखने के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। फिर भी हमारा पर्यावरण दिन-प्रतिदिन मानव निर्मित तकनीक तथा आधुनिक युग के आधुनिकरण के वजह से भी बहुत ज्यादा नष्ट होता जा रहा है। तो इसलिए आज हम पर्यावरण प्रदूषण जैसे सबसे बड़े समस्या का सामना भी कर रहे हैं।
सामाजिक, शारीरिक, आर्थिक, भावनात्मक तथा बौद्धिक रूप से पर्यावरण प्रदूषण हमारे दैनिक जीवन के लिया भी विभिन्न पहलुओं को प्रभावित कर रहा है। पर्यावरण प्रदूषण वातावरण में विभिन्न प्रकार के बीमारीयों को भी जन्म भी देता है, और जिसे व्यक्ति जीवन भर झेलता रहता है। यह किसी समुदाय या शहर की समस्या नहीं है बल्कि दुनिया भर की समस्या भी है इस समस्या का समाधान किसी एक व्यक्ति के प्रयास करने से नहीं होगा। अगर इसका निवारण पूर्ण तरीके से नहीं करा गया तो एक दिन जीवन का अस्तित्व नहीं रहेगा। प्रत्येक आम नागरिक को सरकार द्वारा आयोजित पर्यावरण आन्दोलन में शामिल होना होगा।
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पर्यावरण संरक्षण के कुछ ऐसे उपाए –
- यूज़ एंड थ्रो की प्रक्रिया को छोड़कर रिसायकल की प्रक्रिया को अपनाया जाना चाहिए।
- वर्षा जल-संचयन प्रणाली का उपयोग किया जाना चाहि।
- जैविक खाद का उपयोग भी करा जाना चाहिए।
- जहाँ भी संभव हो पेड़-पौधे लगाएं और उनका संरक्षण भी करें।
- अपने आस-पास के वातावरण को भी स्वच्छ रखें।
- प्लास्टिक का उपयोग बिल्कुल भी न करें।
- वायुमंडल में कार्बन की मात्रा को कम करने के लिए भी सौर उर्जा का अधिक से अधिक प्रयोग करें।
- जल का संतुलित प्रयोग करें।
- तीन आर अर्थात रीसायकल, रिड्यूस और रियूज़ के सिद्धांत का पालन भी करें।
पर्यावरण संरक्षण के लिए वैश्विक स्तर पर होने वाले सम्मलेन –
- पर्यावरण प्रदूषण पर अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन – पर्यावरण प्रदूषण के संबंध में विश्व की चिंता 20वीं सदी में बढ़ गई है। 30 जुलाई 1968 को मानव द्वारा उत्पन्न पर्यावरण की समस्या विषय पर संयुक्त राष्ट्र की सामाजिक और आर्थिक परिषद् ने एक प्रस्ताव पारित करा था तथा एक सम्मलेन का आयोजन करा गया था, और जिसमें कहा गया था की, “आधुनिक वैज्ञानिक एवं तकनीकी विकास के परिप्रेक्ष्य में मानव तथा उसके पर्यावरण के मध्य संबंधो में विकट परिवर्तन भी हुआ है।” सामान्य सभा ने इसमें संज्ञानता प्रकट की तथा कहा है कि वैज्ञानिकों तथा तकनीकी विकास ने असीमित अवसरों को जन्म दिया है, यदि इन अवसरों का प्रयोग नियंत्रित रूप से भी नहीं करा गया, तो हमें भयंकर समस्याओं का समाना भी करना पड़ सकता है। इस सम्मलेन में संयुक्त राष्ट्र ने पर्यावरण प्रदूषण, जल प्रदूषण, क्षरण तथा भूमि के विनिष्टीकरण के अन्य प्रारूप, ध्वनि प्रदूषण, अपशिष्ट तथा कीटनाशकों के प्रभाव पर विचार करा गया है।
- मानव पर्यावरण स्कॉटहोम सम्मलेन – इस सम्मलेन का उद्देश्य विश्वव्यापी पर्यावरण के संरक्षण की समस्या का निदान तथा सुधार भी करना था। पर्यावरण के संरक्षण के संदर्भ में विश्वव्यापी स्तर का यह पहला प्रयास भी था। इसी सम्मलेन में 119 देशों ने ‘एक ही पृथ्वी’ का सिद्धांत को अपनाया था तथा इसी सम्मलेन से वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे यानि कि विश्व पर्यावरण दिवस की शुरुआत भी हुई थी।
- पर्यावरण संरक्षण अधिनियम – 19 नवंबर 1986 को पर्यावरण संरक्षण अधिनियम लागू हुआ था। और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के महत्वपूर्ण बिंदु इस प्रकार हैं –
- पर्यावरण की गुणवत्ता के संरक्षण हेतु सभी महत्वपूर्ण कदम भी उठाए जाएंगे।
- पर्यावरण प्रदूषण के निवारण नियंत्रण और उपशमन हेतु राष्ट्रव्यापी योजनाएं बनाना और उनका क्रियान्वयन करना है।
- पर्यावरण की गुणवत्ता के मानक का निर्धारण करना।
- पेरिस जलवायु समझौता – इस समझौते का प्रस्ताव वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र के वार्षिक जलवायु सम्मेलन (कॉप-21) के दौरान, और 196 पक्षों की और से 12 दिसंबर को पारित करा गया था। 4 नवंबर 2016 को यह समझौता लागू भी हो गया था। पेरिस समझौते का उद्देश्य औद्योगिक काल के पूर्व के स्तर की तुलना में भी वैश्विक तापमान में बढ़ोत्तरी को 2 डिग्री सेल्सियस से कम रखना है 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिये विशेष प्रयास भी करना है। तापमान संबंधी इस दीर्घकालीन लक्ष्य को पाने के लिये भी देशों का लक्ष्य, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के उच्चतम स्तर पर जल्द से जल्द ही पहुँचना है ताकि उसके बाद भी, वैश्विक स्तर में कमी लाने की प्रक्रिया शुरू करी जा सके। और इसके जरिए 21वीं सदी के मध्य तक कार्बन तटस्थता (नेट कार्बन उत्सर्जन शून्य) हासिल करने का लक्ष्य भी रखा गया है।
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