(Eid) ईद पर निबंध (Essay On Eid), Best Tips 2022

भूमिका :

Eid (ईद) मुसलमान समुदाय का सबसे बड़ा एवं पवित्र त्योहारों में से एक है। ईद – उल – फित्र दुनिया भर में मुस्लिम लोग बड़ी श्रद्धा के साथ मनाते है। यह त्यौहार अपने साथ ढेर साडी खुशियाँ ले कर आता है, हर तरफ ख़ुशी का माहौल होता है। इस त्यौहार को मानाने के लिए मुस्लिम समुदाय के साथ बाकि सभी समुदायों के लोग भी ख़ुशी से जुड़ जाते है।

ईद(Eid) उल फित्र का दिन रमजान के महीने के बाद आता है रमजान का महीना सरे मुसलमानो के लिए एक पवित्र महीना होता है। रमजान में सारे लोग रोज़े रखते है। नमाज अदा करते है, कुरान शरीफ पढ़ते है। रमजान की समाप्ति पर ईद का चाँद देखकर सरे मुस्लिम भाई रोज़ा को समाप्ति करते है और ईद की बधाइयाँ देते है, नए वस्त्र पहन कर मस्जिद जाते है, नमाज पढ़ते है। इस दिन सब लोग अल्लाह से अपने गुनाहों की माफ़ी मांगते है तथा उनका शुक्रिया अदा करते है। ईद के दिन हर जगह जगमगाहट होती है। सब लोग एक दूसरे के घर जा कर सेवइयां एवं मिठाईया बाटते है।

(Eid) ईद पर निबंध (Essay On Eid), Best Tips 2022

पृष्ठभूमि :

ईद(Eid) का पूरा नाम ईद उल-फितर होता है। ईद उल फितर में फितर शब्द फ़ारसी शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है अदा करना। इसमें नवाज पढ़ने से पहले अदा किया जाता है और इनकी दूसरी ईद को बकरीद के नाम से जानते है। पैगम्बर हजरत मुहंमद साहब ने बद्र के युद्ध में सफलता हासिल की थी जिसकी ख़ुशी से यह उत्सव मनाया जाता है।

रमजान महीने के बाद ईद उल फितर का त्यौहार हमेशा आता है। रमजान के पुरे महीने रोज़ा रखा जाता है। इन दिन प्रत्येक स्वस्थ इंसान रोजा रखता है इस दिन न तो कुछ खाता है और न हे कुछ पिता है।

ऐसा कहा जाता है की जिस संध्या शुक्ल पक्ष का चाँद दिखाई देता है, उसके अगले दिन ही ईदुल फितर का त्यौहार बड़े उत्सा के  साथ मनाया जाता है। उस दिन ईदुल अजाह के दिन हाजी हजरात का हज पूरा होता है और पूरे संसार के लोग बकरे की क़ुरबानी देते हैं।

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चन्द्र दर्शन :

Eid

कभी कभार जब चन्द्रोदय का समय होता है तभी पश्चिमी आकाश के बादल आ जाते हैं और चाँद को ढक देते है तब अटारियों पर चन्द्र दर्शन के लिए चढने वाले लोगों को मन में बड़ी निराशा छा जाती है लेकिन कुछ समय बाद जब ढोल पर डंके की आवाज सुनाई देती है तो खबर मिलती है कि चाँद दिखाई दे दिया है।

जब रमजान का महिना खत्म हो जाता है और उसके अगले दिन ईद होती है। ईद के मुबारक मौके पर सभी लोगों के चेहरे पर एक नई चमक छा जाती है। रमजान के महीने में रोजा रखना एक मुसलमान का एक कर्त्यव बताया जाता है, जो की रमजान के महीनो में अक्सर मुस्लमान भाई लोग रोज़ा रखते है।

रोजे के दौरान सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक कुछ भी खाने की अनुमति नहीं होती है लेकिन सूर्यास्त के समय पर ही कुछ खाकर रोजा को खोलने का समय मिलता है। रोजा में सूर्यास्त और सूर्योदय के बीच में ही खा पी सकते हैं। जिस दिन चांदनी रात होती है उस दिन लोगों की ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं रह पता है।

(Eid) ईद पर निबंध (Essay On Eid), Best Tips 2022

भाई चारे का त्यौहार:

Eid

ईद(Eid) हमारे देश का एक एहतिहासिक पर्व है। जिस तरह से हिन्दुओ में होली मिलन का त्यौहार है उसी तरह से मुस्लिम लोगो के ईद भी भाईचारे का त्यौहार है। ईद की नमाज को अदा करने के बाद मिलन का कार्यक्रम ईदगाह से ही शुरू किया जाता है। ईदगाह पर लोग एक-दूसरे को प्यार और स्नेह के साथ गले मिलते हैं और एक-दूसरे को ईद की बधाइयाँ देते हैं।

यही शिलशिला दिन भर चलता रहता है। इस मौके पर बिना किसी भेदभाव के लोग एक-दूसरे को गले मिलते हैं और अपने घर पर आने वाले मेहमान को सिवईयाँ भी खिलाते हैं। जैसा कि हम सब को पता है हमारे देश में सभी धर्मों को मानने वाले लोग साथ-साथ रहते हैं। ईद और होली जैसे पवित्र त्यौहारों पर वे प्रेमपूर्वक एक-दूसरे के गले मिलते है।

दोनों ही ईदों का शरीयत के मुताबिक हमारे जीवन में बहुत महत्व होता है। ईद से सामाजिक भाईचारे में एकता की भावना बढती है। ईद(Eid) पर खासतौर पर दूसरे धर्मों के लोग दूसरे धर्म के लोगो के त्योहारों की हार्दिक बधाई देते है। वास्तविक रूप से ईद का पर्व समाज में एक नई खुशियाँ फ़ैलाने , पड़ोसियों के सुख में भागीदार बनने और जन-जन के बीच में खुशियां फ़ैलाने की महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

ईद(Eid) के कुछ महत्वपूर्ण बाते:

  • ईद(Eid) को मुस्लिम लोगो का बहुत बड़ा पवित्र त्यौहार माना जाता है।
  • ईद को दुनियाभर में बड़े ही महत्त्व के साथ और धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। सभी लोग ईद का महीनों से इंतजार बेसबरी से करते हैं।
  • कोई भी व्यक्ति गरीब हो या अमीर सभी लोग अपने सामर्थ्य के अनुसार नए कपड़े पहनते हैं और इन्हीं नए कपड़ों को पहनकर ही ईद की नमाज को अदा करते है और पढने के लिए ईद गाह पर जाते हैं।
  • प्रत्येक मुस्लिम भाई के घर में मीठी-मीठी सिवईयाँ बनती है जिन्हें वे खुद खाते हैं और अपने मित्रों को तथा संबंधियों एवं परोसी को भी खिलाते हैं।
  • ईद(Eid) के त्यौहार के आने से 20 दिन पहले ही दुकाने सिवईयों की बिक्री चालू हो जाती है।
  • ईदुल फितर कत्युहार रमजान के महीने की तपस्या , त्याग और रोजा के बाद आता है।
  • ईदुल फितर के दिन चारों तरफ ख़ुशी और मुस्कान की रौशनी छाई रहती है।
  • प्रत्येक मुस्लिम ईद मनाकर खुद को सौभाग्यशाली समझता है।
  • ईद का पूरा नाम ईदुल फितर होता है। ईदुल फितर में फितर शब्द फारसी भाषा के शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ होता है अदा करना। इसे नमाज पढने से पहले अदा किया जाता है।
  • दूसरी ईद को ईदुल्जुहा या बकरीद के नाम से जाना जाता है। पैगम्बर हजरत मुहंमद ने बद्र के युद्ध में विजय हासिल की थी जिसकी ख़ुशी से यह त्यौहार मनाया जाता है।
  • ईदुल फितर का त्यौहार हमेशा रमजान के महीने के बाद ही आता है। रमजान के पूरे महीने रोजा करना पड़ता है।
  • प्रत्येक स्वस्थ मुसलमान रमजान के महीनो में रोजा रखता है। इस दिन न तो कुछ खता है और न ही कुछ पीता है।
  • उसके अगले दिन ही ईदुल फितर का त्यौहार बड़े उल्लास के साथ पर्व को मनाया जाता है। उस दिन ईदुल अजाह के दिन हाजी हजरात का हज पूरा होता है और पूरे संसार के लोग क़ुरबानी देते हैं।
  • रमजान का महीना मुसलमान लोगों में बहुत महत्व रखता है। उनकी नजर में यह आत्मा को शुद्ध करने का महिना होता है।
  • जिस दिन चांदनी रात होती है उस दिन लोगों की ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं रहता है।
  • ईद (Eid) की नमाज को अदा करने के बाद मिलन का कार्यक्रम ईदगाह से ही शुरू हो जाता है। लोग एक-दूसरे के गले मिलते हैं और एक-दूसरे को ईद की बधाई देते हैं।
  • इस मौके पर बिना किसी भेदभाव के लोग एक-दूसरे को गले मिलते हैं और अपने घर पर आने वाले मेहमानो को सिवईयाँ भी खिलाते हैं।
  • ईद (Eid) से सामाजिक भाईचारे की भावना अखंडता की भावना जगती है। ईद पर खासतौर पर दूसरे धर्मों के लोग अधिक बधाई देते हैं।
  • जिस दिन ईद होती है उस दिन ईदगाह के आस-पास मेले भी लगते हैं। स्त्रियों और बच्चों के लिए वे विशेष रूप से आकर्षण का माहौल बन जाता हैं।
  • इन मेलों में चीजें बेचने वाले दुकानदार तरह-तरह के आकर्षक की चीजों से अपनी दुकानों को सजाते हैं।
  • मेले में काफी संख्या में भीड़ होती है सभी लोग अपने-अपने मनपसन्द स्थान पर जाते हैं जिसे जो चाहिए होता है वो उसको खरीदने के लिए दुकान वाले स्थान पर पहुंच जाता है। यहाँ पर सभी की जरूरत की चीजें मिल जाती है और सभी प्रकार की वस्तुएँ पाई जाती है।
  • वास्तविक रूप में ईद का पर्व समाज में खुशियाँ को बढ़ने , पड़ोसियों के सुख में भागीदार बनने और जन-जन के बीच में पर्व के महत्त्व को फ़ैलाने की महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

(Eid) ईद पर निबंध (Essay On Eid), Best Tips 2022

Eid

मेलों का आयोजन:

जिस दिन ईद(Eid) का त्यौहार होता है उस दिन ईदगाह के आस-पास मेले भी लगते हैं। स्त्रियों और बच्चों के लिए वे विशेष रूप से आकर्षण मंद मेला  का केंद्र होता हैं। इन मेलों में चीजें बेचने वाले दुकानदार तरह-तरह के आकर्षक मंद चीज़ रखते है जैसे बच्चो के लिए खिलौना एवं  चीजों से अपनी दुकानों को सजाते हैं।

इन मेलों में घर-गृहस्थी से जुड़े भी बहुत सी चीजें मिलती हैं जिनको खरीदने के लिए औरतें साल भर ईद त्यौहार को आने का इंतजार करती हैं और बच्चे अपने मन पसंद के खिलौने को खरीदते है। ईद के दिनों में मेलो में राण बिरंगी मिठाई देखने को मिलता है और अनेक प्रकार के झूले पर झूलने को मिलता है। अम्मा अपने मन पसंद के श्रृंगार का सामान खरीदती है।

और जाने: ईद त्यौहार के बारे में !

उपसंहार:

Eid

सभी भारतीय त्यौहार चाहे वो ईद हो या होली , बैसाखी हो या बड़ा दिन ये पूरे समाज के पर्व बन जाते हैं और देश के वासियों में एक नई चेतना आगमन होता है , जो एक नई उम्मंग भर देते हैं। लोग अपने जीवन की हर समस्या को भूलकर त्यौहार के हर्ष और उल्लास में पूरी लगन से व्यस्त हो जाते है।

ईद(Eid) के दिन लोग अपनी दुश्मनी को भूलकर एक दूसरे के साथ गले मिलते हैं और ईद की बधाई देते हैं। इस दिन लोग अपने घर पर आने वाले लोगों को सेवई खिलते हैं चाहे वो उनका मित्र हो , संबंधी हो या फिर शत्रु हो। इससे भाईचारे की भावना बहुत ही सघन माध्यम में दिखने को मिलती है।

 

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