बीमारी रहता है कोशो दूर इस मामूली से पौधे से, पाईल्स और अनेकों खतरनाक बीमारी से दिलाता है राहत

आक का पौधा

आक (Calotropis): आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉक्टर सुनीता सोनल धामा ने बताया कि आक के पौधे को मदार भी बोला जाता है। यह एक ऐसा होता है, जो बंजर भूमि पर अपने आप से उग आता है। इस पर सफेद और बैंगनी कलर के फूल आते हैं और यह एक ऐसा औषधीय गुणों से भरा पौधा है।

आक का पौधा के बारे में जानकारी।

आक (Calotropis) एक बेहद उपयोगी औषधीय पौधा है जो भारत में विशेष रूप से खेतों और घरों के आसपास आसानी से पाया जाता है। यह पौधा बहुत ही लचीला और टिकाऊ है तथा यह गर्मी और सूखे से अच्छी तरह निपट सकता है। आक अस्कलेपियाडेसी (Asclepiadaceae) परिवार का एक महत्वपूर्ण सदस्य है।यह एक छोटी झाड़ी है जिसके पत्ते चौड़े, पतले और हरे रंग के होते हैं। इसके फूल छोटे और गुच्छेदार होते हैं तथा सफेद या लाल रंग के होते हैं। इसके फल लम्बे और गोल होते हैं जिनके अंदर बीज भरे होते हैं।

आक के सभी भागों में औषधीय गुण पाए जाते हैं। इसके रस का उपयोग दस्त, पेट के रोग, घाव, सर्प दंश इत्यादि के इलाज में किया जाता है। इसकी जड़ें मसूड़े दूर करने में प्रभावी हैं। आक के तने से रस्सी और कपड़े बनाए जा सकते हैं। इसकी पत्तियां चारा के रूप में भी उपयोग की जाती हैं। इसकी पत्तियां और रस विषैले होते हैं, इसलिए इसके उपयोग में सावधानी बरतनी चाहिए।

आक का ज्ञान भारतीय पारंपरिक चिकित्सा पद्धति में बहुत प्राचीन है और यह एक अत्यंत उपयोगी औषधीय पौधा माना जाता है।

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आक का पौधा काअलग-अलग भागों से निम्नलिखित बीमारियों का इलाज किया जाता है:-

बीमारी/समस्याआक का उपयोगी भागउपयोग की विधि
दस्त/अतिसारपत्तियों का रसपीने के लिए
पेट के विकारपत्तियों का रसपीने के लिए
घाव/चोटपत्तियों का रसघाव पर लगाना
सर्प दंशपत्तियों का रसघाव पर लगाना और पीना
मसूड़े/गांठेंजड़ों का रसप्रभावित क्षेत्र पर लगाना
त्वचा रोगपत्तियों का रसप्रभावित क्षेत्र पर लगाना
कृमि नाशकपत्तियों का रसपीने के लिए
गठिया/जोड़ों का दर्दतने का रसप्रभावित जोड़ों पर लगाना
कैंसरपत्तियों और जड़ों का रसपीने के लिए
मधुमेहपत्तियों का रसपीने के लिए
लिवर विकारपत्तियों का रसपीने के लिए

आक के विभिन्न भागों में विषैले पदार्थ मौजूद होते हैं, इसलिए इसका उपयोग किसी अनुभवी व्यक्ति की देखरेख में करना चाहिए।

आक के पौधे के लाभ:

  • आक के पत्ते, जड़, तना और फूल सभी में औषधीय गुण पाए जाते हैं।
  • इनका उपयोग विभिन्न बीमारियों जैसे दस्त, मसूड़े, घावों, सर्प दंश, कैंसर आदि के इलाज में किया जाता है।
  • आक पौधा गर्मी और सूखे को बहुत अच्छी तरह सहन कर सकता है।
  • इसलिए यह शुष्क और उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में आसानी से उग सकता है।
  • आक के तने से जैव ईंधन प्राप्त किया जा सकता है।
  • इससे पर्यावरण अनुकूल ईंधन मिलता है।
  • आक के तने से रेशा निकाला जा सकता है, जिससे कपड़े और रस्सियां बनाई जा सकती हैं।
  • आक की पत्तियां पशुओं के लिए एक अच्छा चारा स्रोत हैं।
  • आक पौधे जंगली जीवों और कीटों के लिए आवास और भोजन प्रदान करते हैं, जिससे जैव विविधता बनाए रखने में मदद मिलती है।
  • आक के विभिन्न भागों से औषधियां, रेशा, ईंधन आदि बनाकर आर्थिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
  • इस प्रकार, आक एक बहुमुखी पौधा है जिसके कई लाभ हैं और इसे संरक्षित करना महत्वपूर्ण है।

आक के पौधे में पाए जाने वाले औषधिये गुणों का वर्णन।

आक के पौधे में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं जो इसके विभिन्न भागों में मौजूद होते हैं। आक की पत्तियों में एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल और एंटी-वायरल गुण पाए जाते हैं। इनका रस दस्त, पेट के विकार, घावों और सर्पदंश के इलाज में प्रभावी होता है। पत्तियों का रस शरीर के विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। इनमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं जो सूजन कम करने में मददगार हैं।

आक की जड़ों में मसूड़े, गाँठों और सूजन को कम करने की क्षमता होती है। इनका रस कृमिनाशक के रूप में भी काम करता है। जड़ों में शामिल ग्लाइकोसाइड्स का उपयोग कैंसर और मधुमेह जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज में किया जाता है। आक के तने और फूलों से प्राप्त किए गए रस का उपयोग छाती के रोगों और अस्थमा के इलाज में किया जाता है। इनमें शामिल तत्व हृदय रोगों के जोखिम को कम करने में मदद करते हैं। तने से निकले रस का प्रयोग त्वचा और बाल संबंधी समस्याओं के लिए भी किया जाता है।

आक के पौधे के विभिन्न भागों में मौजूद यौगिकों के कारण ही इसमें इतने औषधीय गुण विद्यमान होते हैं। हालांकि इसके अत्यधिक उपयोग से सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि यह विषैला भी हो सकता है।

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