रहीम दास का जीवन परिचय | Rahim Das Ka Jivan Parichay
Rahim Das Ka Jivan Parichay:- रहीम दास (Rahim Das) भारतीय संस्कृति के एक प्रसिद्ध संत-कवि थे जिनका समय विशेष रूप से मुग़ल सम्राट अकबर के शासनकाल (1556-1605) में था। रहीम दास का असली नाम आब्दुल रहीम था और वे ध्वनि में बड़े रसीले और भक्तिपूर्ण संत थे। उनके ग्रंथ “रहीम दास के दोहे” आदि भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।
रहीम दास (Rahim Das) का जन्म नागौर, राजस्थान में वर्ष 1556 ईसा पूर्व में हुआ था। उनके पिता का नाम बाबू दास था, जो मुग़ल सम्राट हमायूँ के समय में उच्च स्थानीय अधिकारी थे। रहीम दास के पालन-पोषण में भगवान के भक्ति-मार्ग में गुरु रामानंद ने महत्वपूर्ण योगदान दिया था। इससे उनकी भक्तिपूर्ण भावना और समृद्धि की प्रशिक्षण मिला।
रहीम दास के समय में उन्हें अकबर के दरबार में महत्वपूर्ण पदों पर नौकरी मिली। उन्हें अकबर के अटलांटिक न्यायाधीश बनाया गया था और उनके सामंती परिषद का प्रबंधन करने के लिए उन्हें भी जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
रहीम दास के ग्रंथों में धार्मिक, नैतिक और सामाजिक मुद्दों पर विचार किया गया था। उनके दोहे सरल भाषा में लिखे गए थे जिनसे आसानी से लोगों तक भक्ति का संदेश पहुंच सके। रहीम दास के काव्य में सौंदर्य और शांति का भाव प्रधान रहता है।
रहीम दास का जीवन और उनके दोहे आज भी लोगों के बीच प्रचलित हैं और उनका योगदान भारतीय साहित्य और संस्कृति के विकास में महत्वपूर्ण रहा है।
रहीम की मृत्यु कब हुई? | Rahim Das Death?
रहीम दास की मृत्यु (Rahim Das Ki Death) की जानकारी नहीं है, क्योंकि उनके जन्म का भी सटीक तिथि कोई नहीं जानता है। उनके जन्म और मृत्यु के संबंध में विभिन्न अनुमान हैं, लेकिन यह खुदबखुदी एक ऐतिहासिक सत्य नहीं हो जाता है।
इसके कारण, रहीम दास के जीवन और कार्यकाल की विवरण को इतिहासी रूप से स्पष्ट करना कठिन होता है। उनके काव्य और संदेशों की प्रमुखता उनके भक्तिपूर्ण भावों में होती है और उन्हें भारतीय संस्कृति के महान कवि में गिना जाता है।
कृपया ध्यान दें कि मेरी जानकारी 2021 में कट गई है और मेरे पास वास्तविक समय में घटित घटनाओं की जानकारी नहीं है। इसलिए, आपको अन्य संस्थानों या आधिकारिक स्रोतों से जानकारी प्राप्त करने की सलाह दी जाती है।
रहीम दास के प्रसिद्ध दोहे | Rahim Das Ke Dohe
रहीम दास (Rahim Das) के दोहे भारतीय संस्कृति में अत्यंत प्रसिद्ध हैं। ये उनके भक्तिपूर्ण दोहे सरल भाषा में लिखे गए होते हैं और धार्मिक, नैतिक और सामाजिक सन्देशों को संक्षेप में प्रस्तुत करते हैं। रहीम दास के कुछ प्रसिद्ध दोहे निम्नलिखित हैं:
- रहीम के दोहे आधार तिहार, पुनि धरे उतार।
ज्यों ज्यों फुले फूल रहे, त्यों त्यों हरि भरे न्यार॥ - जो ताज रखाए कपड़े, बहुते रंग चकराए।
तेरे किये अछूत उपाए, सोई रहीमन फ़कीरा॥ - बिगड़ी बात बनाए नहीं, बनाई बनाई खाए।
जीहि काँए सो सड़ी उधरे, जुहि काँए ताते गाए॥ - सोहनी से प्रीत हमारी, मोहे रंग लगा रे।
मोसे प्रीतम सोने सियाहे, तुसी छड़ि खाँहु मखवा रे॥ - गोह बाँधै जब छुहारी, मग अंगूर खाए।
साँईं भजन बिना घरे, पछतावे तन जाए॥
ये कुछ रहीम दास (Rahim Das) के प्रसिद्ध दोहे थे, जिनमें भक्तिभाव और संदेशों की गहराई छिपी होती है। उनके दोहों में जीवन के मूल्य, समय की महत्वता, सदयता और प्रेम के महत्व जैसे मुद्दे व्यक्त किए गए हैं।
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रहीम की रचनाएँ | Rahim Das Ki Rachnaye
रहीम दास (Rahim Das) की रचनाएँ उनके समय में हिंदी भाषा में लिखी गई थीं। रहीम दास के दोहे उनकी सबसे प्रसिद्ध रचनाओं में से कुछ हैं, जो पहले भी उपरोक्त उत्तर में दिए गए हैं। इसके अलावा, उनके अन्य लोकप्रिय ग्रंथों में से कुछ हैं:
- बंशीवती (Bansivati): यह ग्रंथ रहीम द्वारा लिखी गई काव्य-कविताओं का संग्रह है।
- बग़बान (Bagban): इस ग्रंथ में रहीम ने प्रकृति, वृक्ष, पुष्प, फूल, बाग़-बगीचे आदि की सुंदरता का वर्णन किया है।
- ध्रुपद पद्यावली (Dhrupad Padyavali): इसमें रहीम दास ने संगीत से संबंधित पद्यावली रची है।
- रहीम चरित्र (Rahim Charitra): इस ग्रंथ में रहीम दास ने संत-कवि सूरदास, तुलसीदास, मीराबाई, कबीर आदि के चरित्र का वर्णन किया है।
- रामावतार (Ramavtar): इस ग्रंथ में रहीम दास ने प्रभु श्रीराम के अवतार के बारे में कविता रची है।
ये कुछ रहीम दास की रचनाएँ हैं, जो भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण हैं और उनके भक्तिपूर्ण सन्देशों को सार्थक बनाती हैं। रहीम दास के काव्य और संदेश आज भी लोगों के दिलों में बसे हुए हैं और उन्हें प्रेरणा देते हैं।
रहीम पर 10 वाक्य | Rahim Das Ka Jivan Parichay
- रहीम दास भारतीय संस्कृति के महान संत-कवि में से एक थे।
- उनके दोहे सरल भाषा में लिखे गए थे और भक्तिपूर्ण संदेशों से भरे थे।
- रहीम दास के दोहे धार्मिक, नैतिक और सामाजिक मुद्दों पर विचार करते थे।
- उन्होंने अकबर के दरबार में महत्वपूर्ण पदों पर नौकरी की थी।
- रहीम दास का असली नाम आब्दुल रहीम था।
- उनकी रचनाएँ भारतीय साहित्य और संस्कृति में महत्वपूर्ण योगदान के रूप में जानी जाती हैं।
- रहीम दास के दोहे आज भी लोगों के बीच प्रसिद्ध हैं और उनके संदेश अब भी मानवता को प्रेरित करते हैं।
- उनके दोहों में सदयता, दया और प्रेम के महत्व का बड़ा महत्व है।
- रहीम दास ने भगवान के प्रति अपनी आस्था और भक्ति को कविताओं के माध्यम से प्रकट किया।
- रहीम दास के काव्य में संगीत, सौंदर्य और भक्ति का अद्भुत संगम होता है, जो उन्हें अनूठा बनाता है।
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