प्रस्तावना
पर्यारवण (Environment) : हमारे चारो ओर पाए जाने वाले जितने भी पेड़ – पौधे एवं जीव जंतु है, सारे पर्यावण (Environment) कहलाते है। पर्यावरण दिवस पुरे विश्व में 5 जून को नकारात्मक एवं दूषित प्रभाव को रोकने के उपलक्ष्य में यह दिवस मानते है जीवन को बेहतर और अधिक प्राकृतिक बनाने के लिए हमे पर्यावरण (Environment) के दूषित प्रभाव को रोकने के लिए विशेष रूप ध्यान देना होगा।
पर्यावरण (Environment) दिवस की घोषणा एवं स्थापना संयुक्त राष्ट्र महासभा के द्वारा 1972 में की गयी थी। लेकिन इस कार्यक्रम को हर साल मानाने की शुरुआत 1973 से शुरू की गयी थी। जिसकी शुरुआत करने का मकसत वातावरण को स्वक्ष एवं साफ रखना, दूषित एवं पेड़ – पौधे एवं वनो की रक्षा करनी चाहिए। पर्यावरण को स्वक्ष एवं साफ रखने के लिए लोगो को हमसब को मिल कर साफ सफाई पर विशेष रूप से ध्यान देनी चाहिए।
“सांसे हो रही काम आओ पेड़ लगाए हम” जैसे की सब को पता ही होगा पिछले वर्ष कोरोना महामारी में लाखो की संख्या में ऑक्सीजन के बिना तड़प तड़प कर मर रहे थी। उस दिन ऑक्सीजन न रहने की वजह से हम सब की जान खतरे में पढ़ गयी थी। कोरो के कारण हॉस्पिटल्स में मरीज को एडमिट करने के लिए बीएड नहीं मिल रही थी। इस तरह के आपदाओं से बचने के लिए हमे प्राकृतिक पर्यावरण पर विशेष रूप से ध्यान देनी चाहिए। जिससे हमे स्वक्ष पर्यावरण एवं स्वक्ष जलवायु, प्राणवायु मिलती है।
विश्व पर्यावरण (Environment) दिवस कब मनाया जाता है?
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पर्यावरण (Environment) दिवस पुरे विश्व में 5 जून को नकारात्मक एवं दूषित प्रभाव को रोकने के उपलक्ष्य में यह दिवस मानते है। पर्यावरण दिवस की घोषणा एवं स्थापना संयुक्त राष्ट्र महासभा के द्वारा 1972 में की गयी थी। लेकिन इस कार्यक्रम को हर साल मानाने की शुरुआत 1973 से शुरू की गयी थी।
पर्यावरण (Environment) खतरे का कारण
पर्यावरण (Environment) के दूषित होने का मुख्य कारण है पेड़ पौधों की कटाई एवं पलास्टिक से बनी सामान का इस्तेमाल करने से हमारा पर्यावरण पूरी तरह दूषित हो चूका है। प्रदूषकों का बढ़ती स्तर सामान्य पर्यावरण परिस्थिति तंत्र को नष्ट कर रहा है। औद्योगीकरण और नगरीकरण की प्रक्रिया में घने वन एवं उसमे रहने वाले जीव जंतु उपवन उजाड़े गए, इससे पर्यावरण संतुलन पूरी तरह बिगड़ गया। प्राकृतिक संसाधन ही नहीं बल्कि समूचा वायुमंडल भी दूषित होता जा रहा है जिससे नदियाँ, समुद्र, भूजल, वायु सभी प्रदूषित हो चुके हैं।
वायुमंडल में पेड़ पौधों की कमी होने के कारण कार्बनडाइ ऑक्साइड की मात्रा वायुमंडल में काफी मात्रा में फ़ैल गयी है। जिससे हमारा पर्यावरण पर संकट काफी बढ़ता जा रहा है जिससे हमारा वायुमंडल में काफी तेजी से ताप बढ़ रहा है। इस बढ़ती ताप कारण हमारा पर्वत पर जमी बर्फी काफी तेजी से पिघलने लगे है और वो और विनाशकारी खतरे का रूप लेते जा रही है। जिससे हम सब पर बाढ़ का खतरा बढ़ गयी है।
वायु प्रदूषण के प्रभाव
बढ़ती कारखानों की जनसँख्या के कारण कारखाने से निकलती हुई धुंए जो हमारे वायुमंडल में को पूरी तरह से दूषित करती हुई। जिससे हमारे वायुमंडल के ओजोन में धीरे – धीरे छिदरे होते जा रहा है । और सूरज से आने वाली अल्ट्रा वायलेट किरणे हमारे वायुमंडल पर बुरा असर डाल सकती है। पेड़ पौधों को अधिक मात्रा में कटाई करने से हमारे वायुमंडल पर बुरा असर पड़ा है । पेड़ पौधो की कमी होने के कारण हमारे वायुमंडल में ऑक्सीजन की धीरे – धीरे कमी होते जा रही है। जैसे की आपको पता ही होगा दिल्ली में वायु प्रदूषण काफी जयदा मात्रा में बढ़ चुकी है। प्राकृतिक संसाधन ही नहीं बल्कि समूचा वायुमंडल भी दूषित होता जा रहा है
यहाँ के वायुमंडल में पूरा काला बादल का प्रकोप छा बैठा है। एक सूचना के मुताबिक बताई जा रही की पुरे दुनिया में सबसे अधिक गाड़ी दिल्ली सिटी में पायी जाती है। इन वाहनों से निकलने वाले धुंए के कारण पुरे वायुमंडल में काला बादल की तरह गैसे छाई हुई है। यहाँ की सरकारों ने इस प्रदूषण को कम करने के लिए डीज़ल और पेट्रोल वाली गाड़िओ पर प्रतिबंध लगा रखा है। और पुरे दिल्ली सिटी में एलपीजी गैसों के गाड़ियां चलती है। जिससे पुरे दिल्ली में वायुमंडल में पुरे तरह से कम होता जा रहा है।
जल प्रदूषण के कारण
जल प्रदूषण के कई मुख्य कारण है। जिससे हमारे पर्यावण पर बुरी तरह से प्रभाव पड़ रहा है। बढ़ती हुई कारखानों के दूषित जल एवं दूषित मॉल मूत्र ने स्वक्ष पानी को गन्दा कर रखा है। नदियों में शवों को देने के कारण जल को दूषित किया जा रहा है जिससे हमारे आस – पास के पर्यावरण पर प्रभाव पड़ता जा रहा है। इस गंदे जल को सेवन करने से काफी मात्रा में जीव जंतु बीमार पड़ रहे है। नदियों में गंदे अवसाद को डालने से नदी का पानी पूरी तरह दूषित होता जा रहा है। भारत में जल प्रदूषण का मुख्य कारण शहरीकरण एवं अनियन्त्र के बात को ले कर है।
विश्व पर्यावरण (Environment) दिवस पर हमें क्या करनी चाहिए ?
विश्व पर्यावरण (Environment) दिवस पर हमे सबको पर्यावरण सुरक्षा हेतु समाज में जागरूक करना चाहिए। पर्यावरण के साफ सफाई के लिए हम सब को इसमें बढ़ चढ़ कर भाग लेनी चाहिए। पर्यावरण दिवस पुरे विश्व में 5 जून को नकारात्मक एवं दूषित प्रभाव को रोकने के उपलक्ष्य में यह दिवस मानते है जीवन को बेहतर और अधिक प्राकृतिक बनाने के लिए हमे पर्यावरण के दूषित प्रभाव को रोकने के लिए विशेष रूप ध्यान देना होगा।
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पर्यावरण (Environment) दिवस की घोषणा एवं स्थापना संयुक्त राष्ट्र महासभा के द्वारा 1972 में की गयी थी। लेकिन इस कार्यक्रम को हर साल मानाने की शुरुआत 1973 से शुरू की गयी थी। जिसकी शुरुआत करने का मकसत वातावरण को स्वक्ष एवं साफ रखना, दूषित एवं पेड़ – पौधे एवं वनो की रक्षा करनी चाहिए। पर्यावरण को स्वक्ष एवं साफ रखने के लिए लोगो को हमसब को मिल कर साफ सफाई पर विशेष रूप से ध्यान देनी चाहिए।
सरकार को भी पर्यावरण (Environment) को ले कर साफ सफाई पर जयदा जोर देना होगा। और हमारे स्कूलों में बचे को पर्यावरण के बारे में अच्छे से बताना होगा। ताकि बच्चे इस चीज़ो को अच्छी तरह से समझ कर अपने जीवन में अप्लाई करे। पर्यावरण बचाव के लिए हम सब को अधिक से अधिक मात्रा में पेड़ पौधों का रोपण करनी चाइए। और हम सब को उस जगह पौधा लगनी चाहिए जहां पेड़ पौधा पहले से महजूद न हो। वहाँ पर हम सब को पेड़ पौधा को लगानी चहिये। जिससे हमारा पर्यावरण स्वक्ष एवं साफ रहेगा। जीवो एवं जनताओ को स्वक्ष प्राण वायु मिलेगी।
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